सूरत : बेमौसम बारिश से बिहार विकास परिषद आयोजित छठ पूजा प्रभावित, इस्कान घाट पर बनी वेदियां जलमग्न
तापी नदी के जल स्तर में वृद्धि के मद्देनजर परिषद की सुरक्षात्मक अपील, घरों या नज़दीकी तालाबों पर करें पूजा
लोक आस्था का महापर्व छठ शनिवार को ‘नहाय-खाय’ से आरंभ हो गया है। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पवित्रता, शुचिता, आपसी सौहार्द और मातृभूमि से जुड़ाव का प्रतीक है। इसी भावना के साथ बिहार विकास परिषद, सूरत द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी तापी तट, इस्कॉन मंदिर के पीछे, जहांगीरपुरा में छठ पूजा का आयोजन किया गया है। रविवार को व्रती अपने घरों पर छठ मईयां के गीतों के साथ ठेकुआ सहित विभिन्न प्रकार के प्रसाद तैयार किये।
कार्यक्रम के अनुसार, इस वर्ष सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 को डूबते सूर्य (संध्या अर्घ्य) और मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को उगते सूर्य (प्रातः अर्घ्य) के साथ छठ महापर्व का समापन होगा।
परिषद के पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रशासन के साथ मिलकर घाट की साफ-सफाई और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए निरंतर कार्यरत थे। किंतु शनिवार से जारी बेमौसम बारिश और तापी नदी के कैचमेंट क्षेत्र में भारी वर्षा के कारण नदी का जलस्तर बढ़ गया है। परिणामस्वरूप, परिषद द्वारा तैयार किया गया मुख्य घाट पानी में डूब गया, जिससे श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
स्थिति को देखते हुए, बिहार विकास परिषद के अध्यक्ष ने छठव्रतियों और श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अपनी सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए अपने घरों की छतों, नज़दीकी तालाबों या केनालों पर ही पूजा संपन्न करें।
सूरत पुलिस और प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। अधिकारियों ने जनता से भीड़भाड़ से बचने और वैकल्पिक स्थलों पर पर्व मनाने का अनुरोध किया है।
परिषद के अनुसार, सूरत महानगर पालिका के सहयोग से तैयार किया गया यह घाट हर वर्ष लगभग 55 से 60 हजार श्रद्धालुओं की उपस्थिति का साक्षी रहा है। हालांकि, इस वर्ष की परिस्थितियों को देखते हुए परिषद ने छठव्रतियों से सुरक्षा और श्रद्धा दोनों का संतुलन बनाए रखने की अपील की है। “छठ महापर्व हमारी आस्था और संस्कृति का अभिन्न अंग है। हम सभी से निवेदन करते हैं कि सुरक्षा को प्राथमिकता दें और जहां संभव हो वहीं श्रद्धापूर्वक पूजा संपन्न करें।
