सूरत : डॉ. प्रशांत कारिया की पुस्तकें "Not Just a Son" और "Not Just a Daughter" का विमोचन
पद्मश्री डॉ. प्रकाश कोठारी ने कहा: 'ये किताबें हर माता-पिता के लिए स्वर्णिम उपहार'
सूरत। संस्कार भारती स्कूल में स्वजन परिवार द्वारा आयोजित एक समारोह में डॉ. प्रशांत कारिया की दो पुस्तकों — “Not Just a Son” और “Not Just a Daughter – My Parenting Mirror” — का विमोचन पद्मश्री डॉ. प्रकाश कोठारी के हाथों हुआ। इन पुस्तकों को केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि हर उस माता-पिता के लिए बताया गया है, जो अपने बच्चों में अपना ही प्रतिबिंब देखते हैं।
मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. प्रकाश कोठारी ने पुस्तकों की सराहना करते हुए कहा कि ये पुस्तकें माता-पिता की हर भावना को समेटे हुए हैं—प्रेम, अपराधबोध, गर्व, गलतियाँ और क्षमा—सब कुछ एक साथ।
डॉ. कोठारी ने पुस्तक का एक प्रसंग साझा किया, जिसमें बच्चे के यौन शिक्षा से जुड़े सवाल का जवाब देने की विधि बताई गई है। उन्होंने जोर देकर कहा, "बच्चे प्रवचन नहीं चाहते — स्पष्टता चाहते हैं। सच्चाई दीजिए, तनाव नहीं।" उन्होंने सलाह दी कि यौन शिक्षा की शुरुआत घर से होनी चाहिए और माँ-बाप को सहज न होने पर विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए।
उन्होंने पुस्तक का एक और सुंदर संदेश उद्धृत किया: "दो बच्चों की कभी तुलना न करें। हर फूल अपने समय पर खिलता है — उसे अपने समय पर खिलने दीजिए।"
डॉ. मुकुल चोकसी ने इसे "ज्ञान और रिश्तों का सोना" बताते हुए कहा कि दिवाली से पहले शुभ पुष्य नक्षत्र में ये पुस्तकें एक स्वर्णिम उपहार हैं।
पुत्री नित्या कारिया ने खुशी और गर्व व्यक्त किया, लेकिन साथ ही ईर्ष्या की भावना भी स्वीकार की, क्योंकि पहले केवल भाई पर ही पुस्तक आ रही थी। दो पुस्तकों के विमोचन से उन्हें लगा कि वे और उनका भाई माता-पिता के लिए समान हैं।
पुत्र परम् कारिया ने भावुक होते हुए कहा कि शुरू में उन्हें निजी बातें सार्वजनिक करना ठीक नहीं लगा, लेकिन ड्राफ्ट पढ़ने के बाद लगा कि "हमारी कहानी तो हर घर की कहानी जैसी है।" उन्होंने सबके सामने भावुक होकर अपने पिता को उनकी परवरिश और समर्थन के लिए 'Thank you, Dad' कहा।
पत्नी वैशाली कारिया ने कहा कि पालन-पोषण में मतभेद स्वाभाविक है, लेकिन उनके विचार हमेशा एक जैसे रहे। उन्होंने कहा, "हर बच्चे को उम्र के अनुसार लालन, पालन और ताड़न की ज़रूरत होती है।"
लेखक डॉ. प्रशांत कारिया ने अपनी एक बड़ी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि एक क्रिकेट मैच के दौरान ग़ुस्से में उन्होंने परम् को थप्पड़ मार दिया था। उन्होंने मंच पर दोबारा माफी माँगते हुए कहा, "वो मेरी सबसे बड़ी गलती थी। वो सही था, और मैंने गलत प्रतिक्रिया दी।"
दोनों पुस्तकें माता-पिता के लिए आत्मचिंतन और प्रेम की सीख हैं। इनमें यह संदेश समाहित है कि “Parenting परफेक्ट बनने की नहीं, प्रेज़ेंट रहने की कला है।” “माफ़ी माँगना कमज़ोरी नहीं — इंसानियत है।” “बच्चे हमेशा सुनते नहीं, लेकिन हमेशा देखते हैं