सूरत : 'द रेडियन्ट इंटरनेशनल स्कूल' में फिनलैंड और जापान की शिक्षा पद्धतियों का संगम, छात्रों का हो रहा सर्वांगीण विकास
किताबी ज्ञान के साथ मानवीय मूल्यों पर ज़ोर; गुजरात का एकमात्र स्कूल जहाँ रोबोटिक्स से दी जा रही शिक्षा
सूरत : स्थानीय शिक्षा संस्थान, द रेडियन्ट इंटरनेशनल स्कूल, शिक्षा के पारंपरिक स्वरूप को बदल रहा है। यह स्कूल छात्रों में मानवीय मूल्यों और वैश्विक दृष्टिकोण का विकास कर रहा है, यह मानते हुए कि सच्ची शिक्षा केवल अक्षर ज्ञान नहीं, बल्कि छात्रों को एक बेहतर इंसान बनाने और समाज कल्याण के लिए तैयार करने में निहित है।
व्यक्ति से मानव बनाने की पहल स्कूल के संस्थापक श्री रामजीभाई मांगुकिया का कहना है, "सिर्फ किताबी ज्ञान से व्यक्ति का कल्याण संभव नहीं है। इसके लिए उसे व्यक्ति से मानव बनना पड़ता है और मानवता के गुणों को अपनाना पड़ता है।"
इसी सोच को ध्यान में रखते हुए, स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ ऐसी गतिविधियों और उत्सवों का आयोजन किया जाता है जो छात्रों में आध्यात्मिकता, संवेदनशीलता और मानवीय व्यवहार को बढ़ावा देते हैं।
वैश्विक शिक्षा प्रणालियों से प्रेरणा स्कूल की सबसे बड़ी विशेषता वैश्विक शिक्षा प्रणालियों से प्रेरणा लेना है। ट्रस्टी श्री किशनभाई मांगुकिया ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली वाले देश फिनलैंड का दौरा किया और वहाँ के नवाचारों को भारतीय शिक्षा प्रणाली के साथ मिलाकर एक अनूठी 'इंडो-फिनिश' शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की।
इसके अलावा, जापान के शैक्षणिक संस्थानों और लेह-लद्दाख स्थित सोनम वांगचुक के प्रसिद्ध स्कूल 'SECMOL' का भी दौरा किया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देना है।
रोबोटिक्स से आधुनिक शिक्षा यह स्कूल गुजरात का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जहाँ रोबोटिक्स के माध्यम से शिक्षा दी जाती है, ताकि छात्र आधुनिक तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें।
अकादमिक क्षेत्र में, स्कूल ने बोर्ड परीक्षाओं में लगातार 100% परिणाम देकर यह साबित किया है कि सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास से हर छात्र सफलता प्राप्त कर सकता है। खेलकूद के क्षेत्र में भी स्कूल के छात्रों ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
श्री रामजीभाई मांगुकिया और उनके पुत्रों, श्री किशनभाई मांगुकिया और श्री जिग्नेशभाई मांगुकिया के दूरदर्शी नेतृत्व में यह स्कूल न केवल अकादमिक उत्कृष्टता का केंद्र बन गया है, बल्कि एक ऐसे समाज के निर्माण में भी योगदान दे रहा है जहाँ के नागरिक ज्ञानी होने के साथ-साथ मानवीय मूल्यों से भी परिपूर्ण हों।
