सूरत : पति ने छिपाई आय, अदालत ने बढ़ाया भरण-पोषण भत्ता ₹17,000 प्रतिमाह

सूरत पारिवारिक न्यायालय का निर्णय: महंगाई और जीवन-यापन खर्च को देखते हुए पत्नी–बेटे के पक्ष में फैसला

सूरत : पति ने छिपाई आय, अदालत ने बढ़ाया भरण-पोषण भत्ता ₹17,000 प्रतिमाह

सूरत। सूरत पारिवारिक न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए एक शिक्षक पति को अपनी परित्यक्ता पत्नी और नाबालिग बेटे को ₹17,000 प्रतिमाह भरण-पोषण राशि देने का आदेश दिया है। अदालत ने पाया कि पति ने अपनी वास्तविक आय को छिपाने के लिए वेतन में जानबूझकर बचत व कटौतियाँ दिखाईं और वेतन खाते का विवरण भी प्रस्तुत नहीं किया।

न्यायालय के अनुसार, पति ने अपनी आय ₹30,000 रुपये बताई थी, जबकि अभिलेखों के अनुसार उसका वास्तविक वेतन ₹56,071 रुपये था। न्यायालय ने माना कि महंगाई और बढ़ते जीवन-यापन खर्च को देखते हुए पूर्व में निर्धारित भरण-पोषण राशि अपर्याप्त है।

याचिकाकर्ता पत्नी (नाम परिवर्तित) स्वीटी चौहान का विवाह वर्ष 2009 में महाराष्ट्र के शिरपुर निवासी प्रदीप चौहान से हुआ था। विवाह के कुछ समय बाद ही पति और ससुराल पक्ष द्वारा शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न का सिलसिला शुरू हो गया। पति के शराब पीकर मारपीट करने और दहेज में दो लाख रुपये व सोने-चाँदी के आभूषण माँगने के आरोप लगे।

गर्भावस्था के दौरान भी पत्नी को प्रताड़ना झेलनी पड़ी। 4 मार्च 2011 को मारपीट की एक गंभीर घटना के बाद पत्नी ने शिरपुर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई और इलाज के पश्चात अपने मायके चली गई। तब से वह अपने नाबालिग बेटे के साथ सूरत में रह रही है।

वर्ष 2011 में पत्नी ने अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी के माध्यम से सूरत पारिवारिक न्यायालय में भरण-पोषण हेतु याचिका दायर की थी। न्यायालय ने 20 मार्च 2015 को आदेश पारित करते हुए पत्नी को ₹6,000 और बेटे को ₹5,000 प्रतिमाह देने का निर्देश दिया था।

हालाँकि, समय के साथ बढ़ती महंगाई और खर्चों को देखते हुए पत्नी ने भरण-पोषण राशि बढ़ाने का आवेदन पुनः दायर किया।

मुख्य न्यायाधीश एस.एस.पी. जैन की अदालत ने कहा कि महंगाई दर बढ़ने से जीवन-यापन का खर्च स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। पति ने न तो चिकित्सा व्यय में सहयोग किया और न ही अपनी वास्तविक आय या निवेश से संबंधित कोई विश्वसनीय दस्तावेज प्रस्तुत किए।

अदालत ने सभी परिस्थितियों को देखते हुए 18 जनवरी 2020 से पत्नी के लिए ₹10,000 और बेटे के लिए ₹7,000 — कुल ₹17,000 प्रतिमाह भरण-पोषण राशि तय की। साथ ही, पति को ₹5,000 आवेदन लागत के रूप में अलग से भुगतान करने का भी आदेश दिया गया।

इस मामले में पत्नी की ओर से अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी ने पक्ष रखा।

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