सूरत : गोबर और मिट्टी से सपने रचती महिला कलाकार, सरस मेले में लिप्पन कला ने जीता दिल

कच्छ से सूरत तक का सफ़र: पति के सहयोग से नशिमा बानू बनीं आत्मनिर्भरता की प्रतीक; शुरू किया ऑनलाइन व्यवसाय

सूरत : गोबर और मिट्टी से सपने रचती महिला कलाकार, सरस मेले में लिप्पन कला ने जीता दिल

सूरत। सरस मेला 2025 में इस बार एक अनोखा स्टॉल सभी का ध्यान खींच रहा था — कच्छ की नशिमा बानू और उनके पति ईसाभाई द्वारा प्रस्तुत लिप्पन कला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” के संदेश को साकार करते हुए इस दंपत्ति ने पारंपरिक कला को आत्मनिर्भरता का माध्यम बना दिया है।

कच्छ ज़िले के नखत्राणा गाँव से सूरत तक का यह सफर नशिमा बानू के लिए किसी सपने से कम नहीं रहा। कभी घर तक सीमित रहने वाली नशिमा आज अपने पति के साथ मिलकर गोबर, मिट्टी, कार्डबोर्ड और एक्रिलिक रंगों से आकर्षक सजावटी वस्तुएँ तैयार करती हैं — जिनकी कीमत ₹50 से ₹2500 तक होती है।

पहले यह कला केवल लेटरबॉक्स तक सीमित थी, लेकिन अब यह वॉल-पीस, टी-स्टैंड, कीचेन और अन्य सजावटी वस्तुओं के रूप में देश-विदेश में लोकप्रिय हो चुकी है। सूरत में आयोजित सरस मेले में लोगों से मिली प्रतिक्रिया उनके लिए “सपनों की उड़ान” साबित हुई।

नशिमा बानू कहती हैं “सरकार के सहयोग और पति के प्रोत्साहन से ही मैं घर से बाहर निकल पाई। अब ऑनलाइन व्यवसाय से हमारी कला को नया मंच मिला है। हमारी परंपरा अब नई पीढ़ी तक पहुँच रही है।”

नशिमा बानू और ईसाभाई की कहानी यह संदेश देती है कि अगर प्रतिभा को सही अवसर मिले, तो गाँव की महिलाएँ भी आत्मनिर्भर भारत की सशक्त पहचान बन सकती हैं।

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