वडोदरा : बाँस के रेशों से कंक्रीट की क्षमता बढ़ाने पर वडोदरा की इंजीनियर का शोध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चयनित

एशियाई क्षेत्रीय सिविल इंजीनियरिंग सम्मेलन (दक्षिण कोरिया) के सतत विकास खंड में भारत से एकमात्र शोध पत्र होगा प्रस्तुत

वडोदरा : बाँस के रेशों से कंक्रीट की क्षमता बढ़ाने पर वडोदरा की इंजीनियर का शोध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चयनित

सड़क एवं भवन विभाग, वडोदरा शहर कार्यालय की उप-कार्यकारी अभियंता सुश्री राजेश्वरी नायर द्वारा तैयार शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुआ है। यह शोध बाँस के कचरे का उपयोग कर कंक्रीट सड़कों की स्थायित्व और क्षमता बढ़ाने पर आधारित है। इसे दक्षिण कोरिया के जेजू द्वीप पर आयोजित होने वाले एशियाई क्षेत्रीय सिविल इंजीनियरिंग सम्मेलन के सतत विकास खंड में प्रस्तुत किया जाएगा। पूरे भारत से चयनित यह एकमात्र शोध पत्र है।

सुश्री नायर ने अपने अध्ययन में कंक्रीट में सुदृढ़ीकरण हेतु बाँस के रेशों का उपयोग किया है। शोध में पाया गया कि बाँस के रेशों को जोड़ने से कंक्रीट सड़कों में दरारें कम होती हैं, भारी यातायात में उनकी आयु बढ़ती है और रखरखाव की लागत घटती है। जीवन चक्र आकलन से यह भी सिद्ध हुआ है कि इस तकनीक से कार्बन उत्सर्जन और संसाधनों की लागत दोनों में कमी आती है।

लागत-लाभ विश्लेषण के अनुसार, बाँस आधारित कंक्रीट न केवल पारंपरिक पद्धति का बेहतर विकल्प है बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और दीर्घकालिक टिकाऊ समाधान भी है। यह अध्ययन सड़क निर्माण में हरित तकनीकों को बढ़ावा देते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

गुजरात से चयनित एकमात्र इंजीनियर सुश्री राजेश्वरी नायर का यह शोध न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर टिकाऊ सड़कों की दिशा में क्रांतिकारी पहल साबित हो सकता है। सम्मेलन में आईआईटी के एक अन्य शोधकर्ता का भी चयन हुआ है।

Tags: Vadodara