सूरत : फाफड़ा-जलेबी में दिखी विविधता, लघु भारत की झलक
दशहरे पर बढ़ी मांग, सूरती, काठियावाड़ी और राजस्थानी फाफड़े ने जीता लोगों का दिल
सूरत। खमन-लोचा और जलेबी के साथ फाफड़ा सूरतियों के नाश्ते में खास पहचान रखता है। दशहरे के दिन तो फाफड़ा-जलेबी की लोकप्रियता कई गुना बढ़ जाती है। पहले शहर में मुख्य रूप से असली सूरती फाफड़ा ( लंबा और गोल ) ही मिलता था, लेकिन सूरत के लघु भारत बनने के साथ अब काठियावाड़ी और राजस्थानी स्वाद वाले फाफड़े भी लोगों को लुभा रहे हैं।
सूरती फाफड़ा की खासियत उसकी लंबाई, उँगली जैसी आकृति और कुरकुरेपन में है। इसे बनाने वाले कारीगर विशेष तकनीक से बेसन, अजवाइन और हींग का इस्तेमाल कर स्वाद को अनोखा बना देते हैं। माँग अधिक होने के बावजूद कारीगरों की कमी से इस फाफड़े की क़ीमत और प्रतिष्ठा दोनों बढ़ गई है।
वहीं, सौराष्ट्र की बढ़ती आबादी के साथ काठियावाड़ी नायलॉन फाफड़ा भी सूरत की पहचान में शामिल हो गया है। चौड़े और पतले आकार वाले ये फाफड़े पपीते के सांभर, मोरा मिर्च और मीठी चटनी के साथ परोसे जाते हैं, जिसे न सिर्फ़ सौराष्ट्रवासी बल्कि सूरती लोग भी खूब पसंद करने लगे हैं।
इसके अलावा, राजस्थानी स्वाद वाले फाफड़े भी बाज़ार में अपनी जगह बना चुके हैं। राजस्थानी व्यापारी और कारीगरों द्वारा बनाए गए इन फाफड़ों में बेकिंग सोडा का अधिक इस्तेमाल होता है। इनकी बनावट सूरती और काठियावाड़ी फाफड़ों के बीच की होती है, जिससे यह स्वाद में हल्के और बनाने में आसान साबित होते हैं।
त्यौहारों पर खाने-पीने के शौकीन सूरतियों के लिए अब फाफड़ा सिर्फ़ सूरती नहीं रहा, बल्कि काठियावाड़ी और राजस्थानी अंदाज़ में भी उपलब्ध है। यही विविधता सूरत को ‘लघु भारत’ की उपाधि दिलाती है।