सूरत : संस्कार और प्रभु का साथ यही है सच्ची विरासत : राधाकृष्णजी महाराज
संस्कारों से भरा परिवार राममय होता है और राममय घर में कभी संकट टिकता नहीं
गौऋषि परम श्रद्धेय स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराज की प्रेरणा से लोक पूण्यार्थ न्यास शाखा, सूरत द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम गौ भक्ति महोत्सव कथा मंगलवार को विराम हो गया। कथा महोत्सव स्वर्गीय गोभक्त गजानंदजी कंसल और राधावल्लभजी जालान की स्मृति को समर्पित रहा और कथा के मुख्य मनोरथी श्रीमती गीता देवी गजानंदजी कंसल (कंसल ग्रुप), जयप्रकाशजी अग्रवाल (रचना ग्रुप) और सुभाषजी अग्रवाल (सुभाष साड़ी) रहे।
रामकथा महोत्सव के नौंवें एवं एवं दिन व्यासपीठ से गोवत्स राधाकृष्णजी महाराज ने हनुमान मिलन, सुग्रीव मित्रता, बाली वध, लंका दहन, रावण वध एवं राम राज्याभिषेक जैसे हृदयस्पर्शी प्रसंगों का वर्णन किया। महाराजजी ने कहा कि समाज में आज जब हर कोई अपने बच्चों को बड़ी-बड़ी संपत्तियाँ देने की सोच रहा है, लेकिन श्रीराम कथा यह संदेश देता कि यदि माता-पिता अपने बच्चों को संस्कार और प्रभु श्रीराम का साथ सौंप दें, तो वही सच्ची संपत्ति बन जाती है। उन्होंने बताया गया कि बाली ने अपने पुत्र अंगद का हाथ भगवान राम को सौंप दिया था, न कि केवल कोई भौतिक संपत्ति। यही दृष्टिकोण आज के माता-पिता को अपनाना चाहिए।
महाराजजी ने कहा कि तीर्थ में भी अब लोग "मनोरंजन" ढूंढते हैं, जबकि तीर्थ का उद्देश्य प्रभु का चिंतन होना चाहिए। "मनोरंजन की अति व्यक्ति को व्यसनी बना देता है और अति व्यसनी चरित्र को गिरा देता है"। जब चरित्र नहीं रहा तो कुछ भी नहीं रहा। यह सूत्र आत्मचिंतन के लिए गूंजता रहा।
राम का वास जहाँ होता है, वहाँ हानि नहीं होती। रावण की पूरी लंका जल गई, लेकिन प्रभु भक्त विभीषण की कुटिया सुरक्षित रही। यह उदाहरण बताता है कि जहाँ प्रभु हैं, वहाँ संकट नहीं टिकते। संस्कारों से भरा परिवार ही राममय होता है, और राममय घर में कभी संकट टिकता नहीं – यही रामकथा का सार है।
कथा में यश और चरित्र पर बल देते हुए बताया गया कि "पद पर रहकर विशिष्ट कार्य करना ही यश है"। साथ ही यह भी कहा गया कि व्यसनी मित्रों से दूरी बनानी चाहिए और ऐसे दोस्तों से जुड़ना चाहिए जो जीवन को ऊँचाई दें, नीचता नहीं। एक महत्वपूर्ण विचार यह भी साझा किया गया कि भगवान तो मनुष्य के एक अच्छे कार्य से ही प्रसन्न हो जाते हैं और सभी बुराइयों को भुला देते हैं, लेकिन मनुष्य अपने जैसे को सौ अच्छाइयों के बावजूद एक गलती पर नकार देता है।
लोक पूण्यार्थ न्यास शाखा के चेयरमैन राकेश कंसल, सह मीडिया प्रभारी वरुण बंसल एवं प्रमोद कंसल ने बताया कि नौ दिवसीय श्रीराम गौ भक्ति महोत्सव का मंगलवार 30 सितंबर को विराम हो गया। महोत्सव के दौरान श्रद्धालु भक्तों ने अखंड गो ज्योति प्रज्वलित रथ और पूंगनुर नस्ल की गौमाता का दर्शन-पूजन पूण्य अर्जित किया। उन्होंने कथा महोत्सव में सहयोगी सभी गो भक्तों एवं सहयोगी बंधुओं के प्रति आभार प्रकट किया।