सूरत : संसार के विषयों को सुख मानने वालों को भगवत चर्चा का आनंद नहीं मिलता : राधाकृष्णजी महाराज

रामकथा महोत्सव के सातवें दिन महाराज ने केवट प्रसंग से लेकर समाज परिवर्तन तक दिए प्रेरक संदेश

सूरत : संसार के विषयों को सुख मानने वालों को भगवत चर्चा का आनंद नहीं मिलता : राधाकृष्णजी महाराज

 गौऋषि परम श्रद्धेय स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराज की प्रेरणा से लोक पूण्यार्थ न्यास शाखा, सूरत द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम गौ भक्ति महोत्सव कथा का आयोजन सिटी लाइट स्थित महाराज अग्रसेन पैलेस में जारी है। यह महोत्सव स्वर्गीय गोभक्त गजानंदजी कंसल और राधावल्लभजी जालान की स्मृति को समर्पित है। कथा के मुख्य मनोरथी श्रीमती गीता देवी गजानंदजी कंसल (कंसल ग्रुप), जयप्रकाशजी अग्रवाल (रचना ग्रुप) और सुभाषजी अग्रवाल (सुभाष साड़ी) हैं।

रामकथा महोत्सव के सातवें दिन व्यासपीठ से गोवत्स राधाकृष्णजी महाराज ने श्रृंगबेर में निषादराज मिलन, राम-केवट संवाद और भारद्वाज मुनि मिलन जैसे प्रसंगों का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया। महाराजजी ने कहा कि श्रीराम कथा का वनगमन और भरत मिलन प्रसंग भक्तों को गहराई से व्यथित कर देता है, इसलिए डोंगरेजी महाराज रामकथा के वनगमन एवं भरत मिलन प्रसंग का वर्णन करने से बचते थे। महाराजजी ने कहा कि श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं, वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया. तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। चरणों को धोकर और सारे परिवार सहित स्वयं उस जल (चरणोदक) को पीकर पहले (उस महान पुण्य के द्वारा) अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनंदपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्रजी को गंगाजी के पार ले गया। जब प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी केवट की नाव से उतरे तो प्रभु श्री राम के पास केवट को देने के लिए कुछ नहीं था तो माता सीता ने अपनी अंगूठी केवट को उतारकर दी।  
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प्रवचन में महाराजजी ने कहा कि संसार के विषयों को सुख मानने वालों को भगवत चर्चा का आनंद नहीं मिलता। जिन्होंने भौतिक विषयों में सुख नहीं माना, वही श्रीराम कथा का रस पाते हैं। उन्होंने संतों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सिद्धियों से केवल घटनाएं बदलती हैं, पर संतों के स्वभाव से व्यक्ति का जीवन बदलता है। जब नेता-अभिनेता और सेलीब्रिटी से मिलने में सुख मानेंगे तो संत मिलन के सुख को क्या जानेंगे। जिन्होंने देशी-विदेशी खाद्यपदार्थों में सुख माना है तो भला उन्हें भगवान का कैसे अच्छा लगेगा। 

महाराजजी ने समाज सुधार की ओर संकेत करते हुए कहा कि व्यक्ति में बदलाव होगा तभी समाज में बदलाव संभव है। समाज में अभियान और अधिकार को लेकर बुराइयां होती है।  समाज में अभियान और अधिकार के नाम पर बुराइयां उत्पन्न होती हैं। यदि व्यक्ति अपना स्वभाव सरल बना ले तो ये बुराइयां स्वतः समाप्त हो जाएंगी।

लोक पूण्यार्थ न्यास शाखा के चेयरमैन राकेश कंसल, गोधाम महातीर्थ मथमेड़ा के सीईओ आलोक सिंहल कथा स्थल पर अखंड गो ज्योति प्रज्वलित है और पूंगनुर नस्ल की गौमाता का दर्शन-पूजन हेतु बड़ी संख्या में श्रद्धालु कर रहे हैं।  नौवें दिन यानी मंगलवार 30 सितंबर को कथा प्रातःबेला में सुबह 9 से 12 बजे तक रहेगी। 

मीडिया प्रभारी सज्जन महर्षि, सह प्रभारी वरुण वंसल एवं प्रमोद कंसल ने बताया कि रविवार को कैलाश हाकिम (फोस्टा अध्यक्ष), विनोद अग्रवाल (लक्ष्मी हरि), अजीत राजपुरोहित, नंदलाल प्रजापति, लक्ष्मीनारायण प्रजापति, रतन दारूका (बिल्डर), राहुल अग्रवाल (सीए), गणेश प्रजापत, आनंद खेतान, नीरज नाउका, किशोरसिंह राजपुरोहित (नेत्रा), श्यामसुंदर शर्मा, भागीरथ पारीक, पवन भूतड़ा, श्याम सुन्दर स्वामी, लक्ष्मी नारायण गर्ग, 
रामदास जिंदल, पंकज गुप्ता, अजीत जिंदल सहित अनेक महानुभावों ने ज्ञानगंगा में गोता लगाया।  

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