वडोदरा की रणसीबेन कुपोषण से हुई मुक्त, मिला स्वस्थ और आनंदमय बचपन
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की मेहनत और सरकारी योजना के सहयोग से ‘गंभीर कुपोषण’ से मिली राहत
वडोदरा जिले के पादरा तालुका के डभोई-2 ब्लॉक के पारा गाँव की नन्ही तड़वी रणसीबेन पंकजभाई, जो कभी गंभीर कुपोषण की शिकार थी, अब स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर बढ़ रही है। इस परिवर्तन के पीछे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सतत मेहनत और सरकार की सी-एमएएम (तीव्र कुपोषण का सामुदायिक प्रबंधन) योजना का बड़ा योगदान है।
मार्च 2025 में रणसीबेन का वजन मात्र 6.9 किलोग्राम दर्ज किया गया, जिससे वह ‘गंभीर रूप से कुपोषित’ श्रेणी में आ गई। तुरंत उसे सी-एमएएम कार्यक्रम में शामिल किया गया। कार्यक्रम के तहत नियमित दवाइयाँ उपलब्ध कराई गईं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हर सप्ताह उसके घर जाकर प्रगति की निगरानी करती रही।
माता-पिता को ‘बाल शक्ति पैकेट’ से पौष्टिक व्यंजन बनाने के तरीके सिखाए गए और उनकी जानकारी अभिभावक कार्ड में दर्ज की गई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और प्रधानाध्यापिका के मार्गदर्शन से परिवार को यह समझाया गया कि पौष्टिक आहार का क्या महत्व है और बच्चे के खानपान में किस प्रकार विविधता लाई जा सकती है।
निरंतर निगरानी और सही पोषण के चलते रणसीबेन के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ। कुछ ही महीनों में उसका वजन 6.9 किलो से बढ़कर 7.8 किलो हो गया और ऊँचाई भी 79.8 सेमी तक दर्ज की गई। यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि सामुदायिक प्रयास और सरकारी योजनाएँ मिलकर कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से लड़ने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।