शरद रात्रि 2025 : अहमदाबाद की सबसे खास, केवल आमंत्रण-आधारित गरबा संध्या, तीसरे वर्ष लौट आई

शरद रात्रि 2025 : अहमदाबाद की सबसे खास, केवल आमंत्रण-आधारित गरबा संध्या, तीसरे वर्ष लौट आई

अहमदाबाद (गुजरात) [भारत], 17 सितंबर: लंबे इंतज़ार के बाद, बहुप्रतीक्षित शरद रात्रि अपने तीसरे संस्करण के साथ एक बार फिर अहमदाबाद की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करने आ रही है। यह आयोजन शहर की सबसे विशिष्ट एवं केवल आमंत्रण से जुड़ने वाली गरबा संध्या है, जो परंपरा, भव्यता और अध्यात्म को एक साथ पिरोती है।

शरद रात्रि ने पिछले दो वर्षों में खुद को एक ऐसी संध्या के रूप में स्थापित किया है, जो पारंपरिक गरबा उत्सव को विलासिता और सुरुचिता के साथ जोड़ती है। यहां उद्योगपतियों, कला-जगत, सांस्कृतिक प्रेमियों और समाज के चुनिंदा सदस्यों को एक ही छत के नीचे एक अनोखा अनुभव मिलता है।

दो विशेष रातें

आरंभ – नवरात्रि की पहली रात

•    उत्सव की शुरुआत होगी आदि शक्ति के आह्वान से, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी और पांच महिला पुजारियां उपस्थित रहेंगी।
•    इस बार 501 श्रद्धालु इस पावन क्षण के साक्षी बनेंगे।
•    लाल और हाथी दांत (आइवरी) का थीम, जो पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है।
•    विशेष आकर्षण: 108 गरबी, श्री यंत्र की स्थापना, सात्विक भोजन, और नंगे पांव गरबा।

अनंत – शरद पूर्णिमा की रात

•    उत्सव का समापन होगा पूर्णिमा की चांदनी के नीचे।
•    इस वर्ष की थीम है चंद्रमा की 16 कलाएं, जो जीवन की पूर्णता का प्रतीक है।
•    मुख्य आकर्षण: रास-गरबा, चांदनी में ध्यान, और दूध-पोहा प्रसाद की अनूठी परंपरा।

शरद रात्रि क्यों है विशेष?

•    केवल आमंत्रण आधारित आयोजन – सिर्फ़ चुनिंदा अतिथियों के लिए।
•    परंपरा का संरक्षण – वैदिक अनुष्ठानों और पवित्र विधियों के साथ।
•    संपूर्ण अनुभव – वैलेट पार्किंग, सात्विक भोजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां।
•    पवित्र प्रसाद – आरंभ में अंबाजी शक्ति पीठ से और अनंत में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से।
•    समुदाय का संगम – गुजरात के विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाने का अवसर।

आयोजक की बात

“शरद रात्रि मां अंबा की सच्ची भक्ति और संस्कृति का उत्सव है। हमारा उद्देश्य है कि हर अतिथि को घर जैसी आत्मीयता और परंपरागत अनुभव मिले,” ऐसा कहना है आयोजन की क्यूरेटर श्रुति चतुर्वेदी का।

शरद रात्रि 2025 एक बार फिर यह साबित करेगी कि जब परंपरा, संस्कृति और सामूहिकता मिलती है, तो उत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है।

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