सूरत : एसएमए की साप्ताहिक बैठक में जीएसटी संशोधन पर चर्चा, त्यौहारों पर ‘स्वदेशी वस्तुएं खरीदने-बेचने’ का लिया संकल्प

विशेषज्ञों ने वस्त्र उद्योग पर नए प्रभाव बताए, व्यापारियों ने प्रीमियम गारमेंट्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी का किया विरोध

सूरत : एसएमए की साप्ताहिक बैठक में जीएसटी संशोधन पर चर्चा, त्यौहारों पर ‘स्वदेशी वस्तुएं खरीदने-बेचने’ का लिया संकल्प

सूरत मर्कनटाइल एसोसिएशन (एसएमए) की 207वीं नियमित साप्ताहिक समस्या समाधान मीटिंग 14 सितम्बर 2025, रविवार को माहेश्वरी भवन, सिटी लाइट में आयोजित हुई। बैठक की अगुवाई एसएमए प्रमुख नरेन्द्र साबू ने पंच पैनल एवं कोर कमेटी टीम के साथ की। मीटिंग में 112 व्यापारी उपस्थित रहे। कुल 35 आवेदन पत्रों पर सुनवाई की गई, जिनमें से 2 समस्याओं का समाधान तत्काल बातचीत से हो गया। शेष आवेदनों को पंच पैनल एवं लीगल टीम को सौंपा गया, जो समयानुसार समाधान की प्रक्रिया में शामिल होंगे।

बैठक में सभी व्यापारियों ने आगामी त्यौहारों दशहरा और दीपावली पर सिर्फ हिंदुस्तानी सामान खरीदने और बेचने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ की जनसंख्या वाला भारत यदि यह निश्चय कर ले तो आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सकता है और किसी भी बड़े देश की धमकी से घबराने की आवश्यकता नहीं रहेगी।

सदस्यों ने त्यौहारों की ग्राहकी का भी अवलोकन किया। इस बार उत्तर भारत में ग्राहकी 12 से 15 प्रतिशत कमजोर बताई गई, जबकि दक्षिण भारत—विशेषकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु—में दशहरा और दीपावली पर 15 से 20 प्रतिशत तक बिक्री बढ़ी है।

मीटिंग में आमंत्रित मुख्य अतिथि चार्टर्ड अकाउंटेंट आकाश अग्रवाल सादर आमंत्रित थे। आपने जीएसटी की 56वीं काउंसिल मीटिंग में जो नए संशोधन हुए हैं उसके बारे में जानकारी दी, जो कि इस प्रकार है। बैठक का मुख्य विषय रहा –“56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में दरों के सरलीकरण (Rate Rationalisation) का वस्त्र उद्योग पर प्रभाव विशेषकर सूरत टेक्सटाइल हब पर”। जिस पर विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला। 

मीटिंग का समापन स्वादिष्ट अल्पाहार के साथ हुआ। इस अवसर पर एसएमए परिवार के अशोक गोयल, राजीव उमर, राजकुमार चिरानिया, दुर्गेश टिबडेवाल, मनोज अग्रवाल, राजेश गुरनानी, संदीप अग्रवाल, रामकिशोर बजाज, संजय अग्रवाल, गौरव भसीन, घनश्याम माहेश्वरी, राजकुमार धनानिया, रामअवतार साबू सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे।

उच्च मूल्य वाले गारमेंट्स पर बढ़ा टैक्स व्यापारियों के लिए चुनौती : सीए 

 एसोसिएशन के अधिकृत विधिक सलाहकार सीए आकाश अग्रवाल और सीए रितेश सिंगल ने विस्तार से बताया कि  मैन-मेड फाइबर, यार्न और विभिन्न ग्रे फैब्रिक पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे इनपुट लागत में राहत मिलेगी। कढ़ाई, लेस, ब्रेड, ट्रिमिंग आदि पर भी अब 5 प्रतिशत की दर लागू होगी, जिससे सूरत का कढ़ाई एवं ज़री उद्योग लाभान्वित होगा। रेडीमेड गारमेंट्स और मेड-अप्स पर रु. 2500 तक की कीमत वाले उत्पादों पर 5 प्रतिशत जीएसटी रहेगा, लेकिन रु. 2500 से अधिक कीमत वाले पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा।

बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि जहां फाइबर व यार्न पर दर घटने से वस्त्र उद्योग को राहत मिली है, वहीं उच्च मूल्य वाले गारमेंट्स पर बढ़ा टैक्स व्यापारियों के लिए चुनौती बनेगा और उन्हें नई रणनीति बनानी होगी। सेमिनार के बाद उपस्थित व्यापारियों ने रु. 2500 से अधिक मूल्य वाले गारमेंट्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने को अनुचित बताते हुए विरोध दर्ज किया। उनका कहना था कि इससे गारमेंट्स उद्योग को प्रोत्साहन मिलने के बजाय बाधा आएगी। व्यापारियों ने सरकार से मांग की कि यह सीमा रु. 2500 से बढ़ाकर कम से कम रु. 10,000 की जानी चाहिए और केवल रु. 10,000 से अधिक कीमत वाले गारमेंट्स पर ही 18 प्रतिशत जीएसटी लागू हो।

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