सूरत : आयातित नायलॉन धागे पर एमआईपी लगाने को लेकर स्पिनरों और बुनकरों के बीच बहस

वस्त्र सलाहकार सुब्रा अग्रवाल के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस; बुनकरों ने कहा- एमआईपी से 2 लाख लोग होंगे बेरोजगार

सूरत : आयातित नायलॉन धागे पर एमआईपी लगाने को लेकर स्पिनरों और बुनकरों के बीच बहस

सूरत। आयातित नायलॉन धागे पर न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) लगाने के मुद्दे पर आज वस्त्र मंत्रालय की सलाहकार सुब्रा अग्रवाल ने स्पिनरों और बुनकरों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस बैठक में दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क और डेटा पेश किए।

स्पिनरों ने शिकायत की कि बाहर से आने वाले सस्ते धागे के कारण उन्हें नुकसान हो रहा है। उन्होंने डीजीटीआर (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज) को एक ज्ञापन भी सौंपा है। हालांकि, सुब्रा अग्रवाल ने उन्हें केवल एमआईपी मुद्दे पर ही बात करने के लिए कहा। 

बुनकर नेता मयूर गोलवाला के नेतृत्व में, नायलॉन बुनकर संघ और अन्य संगठनों ने बुनकरों का पक्ष रखा। गोलवाला ने स्पिनरों के दावों को चुनौती देते हुए कहा कि स्पिनरों को नायलॉन चिप्स ₹160 में (वर्तमान में) और ₹200 (पहले) में खरीदने के बाद भी प्रति किलोग्राम धागे पर ₹45 (वर्तमान में) और ₹35 (पहले) का शुद्ध लाभ हो रहा है। उन्होंने बताया कि आयातित धागा ₹190-195 प्रति किलोग्राम में आ रहा है, जो स्पिनरों के लाभ को प्रभावित नहीं करता।

गोलवाला ने यह भी बताया कि पिछले तीन सालों से घरेलू बाजार में धागे की मांग (3 लाख मीट्रिक टन) की तुलना में आपूर्ति (2 लाख मीट्रिक टन) कम है, जिससे एमआईपी लगाने का कोई औचित्य नहीं है।

वेडरॉड वीवर एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि अगर आयातित धागे पर एमआईपी लगाया गया, तो 1.5 लाख से अधिक करघे बंद हो जाएंगे, जिससे 2 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

सुब्रा अग्रवाल ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि डाउनस्ट्रीम उद्योग (बुनकर और अन्य) में अधिक लोग जुड़े हैं और उन्हें भी बचाना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि स्पिनरों के लाभ-हानि का विश्लेषण किया जाना चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि बुनकरों को आयातित धागे से बेहतर गुणवत्ता मिलती है, जबकि घरेलू स्पिनर हमेशा गुणवत्ता बनाए नहीं रख पाते।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान, कुछ बुनकर दिल्ली स्थित कपड़ा मंत्रालय भी पहुँचे, जो चर्चा का विषय रहा। बुनकरों का कहना है कि स्पिनर मनचाहे दामों को लेकर व्हाट्सएप ग्रुप्स में अफवाहें फैलाते हैं, और सरकार को उनके द्वारा पेश किए गए झूठे डेटा की जाँच करनी चाहिए।

अब सरकार को इस पूरे मामले पर निष्पक्ष निर्णय लेना है कि आयातित धागे पर एमआईपी लगाया जाए या नहीं।

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