सूरत : एमएमएफ टेक्सटाइल उद्योग की जीएसटी दरों पर चैंबर की ऑनलाइन बैठक
12 सितंबर को दिल्ली में राजस्व विभाग के समक्ष रखी जाएगी दर घटाने की मांग
सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) के नेतृत्व में मंगलवार, 9 सितंबर 2025 को भारत भर के एमएमएफ (मैनमेड फाइबर) टेक्सटाइल एसोसिएशनों की एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई।
बैठक में भारतीय वस्त्र परिसंघ, SAIMA, दक्षिण भारत मिल्स एसोसिएशन, मेटाक्सिल, SRTEPC, नायलॉन स्पिनर्स एसोसिएशन, नई दिल्ली टेक्सटाइल एसोसिएशन, सिंथेटिक फाइबर उद्योग संघ, पॉलिएस्टर टेक्सटाइल अपैरल इंडस्ट्री एसोसिएशन, पेडेक्सिल और PTA उपयोगकर्ता संघों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
बैठक में उद्योगपतियों ने चिंता जताई कि धागे के कच्चे माल पर 18% जीएसटी दर अपरिवर्तित रहने से सिंथेटिक यार्न स्पिनर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में फंस गए हैं। इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का बड़ा हिस्सा सरकार के पास जमा हो जाएगा, जो उद्योग के लिए वित्तीय बोझ बन जाएगा। अनुमान के अनुसार, लगभग ₹9 प्रति किलोग्राम जीएसटी क्रेडिट अटका रहेगा।
उद्योगपतियों का कहना था कि जब कपड़ा स्तर पर इनवर्टेड ड्यूटी हटा दी गई है, तो धागा स्तर पर भी यह समस्या खत्म होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि पैराक्सिलीन, कैप्रोलैक्टम, MEG, PTA, नायलॉन और पॉलिएस्टर चिप्स पर जीएसटी दर 18% से घटाकर 5% की जाए, ताकि संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में कहीं भी इनवर्टेड ड्यूटी न रहे।
बैठक में यह भी कहा गया कि यदि सरकार ने तुरंत राहत नहीं दी, तो उद्योग में होने वाले अनुमानित निवेश पर असर पड़ेगा। वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अगले 5 वर्षों में पॉलिएस्टर यार्न क्षेत्र में ₹24,000 करोड़ और MEG-PTA उत्पादन में ₹40,000 करोड़ के निवेश की आवश्यकता होगी। इनवर्टेड ड्यूटी जारी रहने से निवेश ठप हो सकता है।
साथ ही, उद्योगपतियों ने सरकार द्वारा ₹2500 से अधिक मूल्य वाले परिधानों पर 18% जीएसटी लगाने का विरोध किया और कहा कि इससे परिधान महंगे होंगे तथा उपभोक्ता पर सीधा बोझ पड़ेगा।
इस संबंध में, 12 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में राजस्व विभाग के साथ होने वाली बैठक में देशभर के सभी टेक्सटाइल संघों के अध्यक्ष कर अनुसंधान इकाई के अधिकारियों के समक्ष यह प्रस्ताव रखेंगे कि परिधानों पर जीएसटी दर घटाकर 5% की जाए।