सूरत : गणेश विसर्जन उत्सव बना महिलाओं के लिए रोजगार का अवसर
नगर निगम की पहल – कृत्रिम तालाबों पर एकत्रित सामग्री से महिलाएँ बना रही हैं नवरात्रि परिधान और सजावट के सामान
सूरत। गणेशोत्सव के बाद होने वाले विसर्जन उत्सव को सूरत नगर निगम ने महिलाओं के लिए रोजगार उत्सव में बदल दिया है। विसर्जन के दौरान नगर निगम द्वारा बनाए गए 20 कृत्रिम तालाबों के बाहर स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) की महिलाओं को स्टॉल उपलब्ध कराए गए, जहाँ वे मूर्तियों से अलग किए गए वाघा (वस्त्र) और आभूषणों को एकत्रित कर उनका पुनः उपयोग कर रही हैं।
नगर निगम के शहरी सामुदायिक विकास (UCD) विभाग की पहल के तहत, गणेश प्रतिमाओं के आभूषण और वाघा ( भगवान के वस्त्र) को श्रद्धापूर्वक हटाकर सखी मंडल की महिलाओं को उपलब्ध कराया जाता है। यह महिलाएँ इन्हें नवरात्रि के परिधानों, आभूषणों और घर की सजावट की वस्तुओं में बदलकर नया रोजगार अर्जित कर रही हैं।
कचरे से बने नवरात्रि परिधान और आभूषण । सखी मंडल की महिलाएँ एकत्रित वस्त्र और आभूषणों से तोरण, चनिया-चोली, पारंपरिक आभूषण और सजावटी सामान तैयार कर रही हैं। नगर निगम हर साल नवरात्रि मेला आयोजित करता है, जहाँ इन वस्तुओं की भारी मांग रहती है। खास बात यह है कि पहली नज़र में यह पहचानना मुश्किल होता है कि ये वस्त्र और आभूषण विसर्जन सामग्री से बने हैं।
मुफ्त सामग्री, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण। इस पहल से महिलाओं को मुफ्त कच्चा माल मिलता है, जिससे उनकी लागत कम होती है और वे सस्ते दामों पर परिधान बेच पाती हैं। साथ ही, विसर्जन के बाद अनुपयोगी हो जाने वाली सामग्री का पुनः उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित किया जा रहा है।
नगर निगम का मानना है कि “कचरे से सर्वश्रेष्ठ बनाने” की यह सोच महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है। पिछले वर्ष भी इस योजना के तहत कई महिलाओं को रोजगार मिला था और इस बार भी उम्मीद है कि नवरात्रि मेले में इनके तैयार किए गए परिधान और आभूषण खूब पसंद किए जाएँगे।