सूरत : डिंडोली-खरवासा नहरों में आधी विसर्जित 3000 गणेश प्रतिमाओं का पुनः विसर्जन

सांस्कृतिक रक्षा समिति ने की पहल, भक्तों से पर्यावरण-अनुकूल विसर्जन की अपील

सूरत : डिंडोली-खरवासा नहरों में आधी विसर्जित 3000 गणेश प्रतिमाओं का पुनः विसर्जन

सूरत। सूरत में सांस्कृतिक रक्षा समिति द्वारा संचालित श्री माधव गौशाला के 200 से अधिक गौसेवकों ने एक सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने डिंडोली और खरवासा की नहरों में आधी डूबी हुई 3,000 से अधिक गणेश प्रतिमाओं को निकालकर उनका हजीरा नदी में पुनः विसर्जन किया।

सांस्कृतिक रक्षा समिति के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने बताया कि ये प्रतिमाएँ पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की थीं, जिन्हें कुछ भक्तों ने नहरों में ही विसर्जित कर दिया था। पिछले 9 वर्षों से, उनका संगठन भक्तों से अपील कर रहा है कि वे देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को नहरों या निर्जन स्थानों पर न छोड़ें। इस समस्या को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन से भी सहयोग लिया जाता है, लेकिन कुछ लोग चोरी-छिपे ऐसा कर देते हैं।

सूर्यवंशी ने भक्तों से अपील की है कि इस तरह के विसर्जन से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि "स्वच्छ विसर्जन, स्वच्छ पर्यावरण" के लिए लोगों को छोटी मिट्टी की प्रतिमाएँ लानी चाहिए और उनका उचित विसर्जन करना चाहिए।

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