राजकोट का वसुंधरा गणेश पंडाल: पर्यावरण संग ग्रामीण संस्कृति की अद्भुत झलक

17 वर्षों से पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव, इस बार मिट्टी की मूर्ति और भांग से सजे पंडाल में ग्रामीण संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन

राजकोट का वसुंधरा गणेश पंडाल: पर्यावरण संग ग्रामीण संस्कृति की अद्भुत झलक

एयरपोर्ट रोड स्थित वसुंधरा रेजीडेंसी सोसायटी का गणेश उत्सव इस वर्ष भी अपने अनोखे स्वरूप से लोगों का मन मोह रहा है। बीते 17 वर्षों से यह सोसायटी पर्यावरण-अनुकूल गणेश पंडाल की परंपरा निभा रही है, जिसमें हर बार नई थीम के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश जोड़े जाते हैं।

इस बार छह फीट ऊँची मिट्टी से बनी गणपति की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। पंडाल को भांग, तोरण, लालटेन और गुजराती ग्रामीण संस्कृति के नृत्य-गीतों के प्रदर्शन से सजाया गया है। आयोजन समिति का कहना है कि सजावट से लेकर मूर्ति तक, कहीं भी रसायनों का उपयोग नहीं किया गया है  ताकि जल और पर्यावरण को कोई क्षति न पहुँचे।

27 अगस्त से 6 सितंबर तक चलने वाले इस उत्सव में सुबह-शाम वैदिक मंत्रोच्चार, पूजा-अर्चना और आरती के साथ धार्मिक वातावरण गूँजता है। प्रतिदिन "वडिल वय वंदना" कार्यक्रम के तहत वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान किया जाता है, जिससे समाज में बुजुर्गों के प्रति आदर और परिवार में सामंजस्य का संदेश दिया जाता है।

गणेशोत्सव के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, छप्पन भोग, बच्चों के लिए खेलकूद, भगवान सत्यनारायण कथा, यमुनाष्टक पाठ और प्रतिदिन राष्ट्रगान जैसे सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। वसुंधरा सोसायटी की गणेश उत्सव समिति का कहना है कि पर्यावरण की रक्षा और सामाजिक मूल्यों की जागृति ही उनके आयोजन का मुख्य उद्देश्य है।

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