राजकोट के 1400 नेत्रदाताओं ने 300 से अधिक मरीजों को दी नई दृष्टि

जी.टी. सेठ नेत्र चिकित्सालय की पहल से बढ़ी नेत्रदान दर, ‘नेत्रदान पखवाड़े’ से जागरूकता में दिखा असर

राजकोट के 1400 नेत्रदाताओं ने 300 से अधिक मरीजों को दी नई दृष्टि

मृत्यु के बाद भी जीवन में रोशनी फैलाने का संकल्प अब राजकोट में जनआंदोलन बनता जा रहा है। जी.टी. सेठ नेत्र चिकित्सालय और पी.डी.यू. मेडिकल कॉलेज की टीम के प्रयासों से शहर व जिले में नेत्रदान की दर लगातार बढ़ रही है। पिछले दो वर्षों में नेत्रदान का आंकड़ा 1,000 से बढ़कर 1,464 तक पहुंच गया है, जिससे 300 से अधिक मरीजों को नई दृष्टि मिली है।

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े (25 अगस्त से 7 सितंबर) के दौरान आयोजित जागरूकता अभियानों का बड़ा असर देखने को मिला है। सहायक प्रोफेसर डॉ. अंजलि पडाया ने कहा, “मृत्यु के बाद नेत्रदान करके हम दिव्यांगों के जीवन को उज्जवल बना सकते हैं। नागरिकों को अंधविश्वास छोड़कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और नेत्रदान के लिए आगे आना चाहिए।” 

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डॉ. अंजलि ने बताया कि वर्ष 2022-23 में लगभग 1,000 दिवंगत लोगों की आंखें दान की गईं, जो 2024-25 में बढ़कर 1,464 तक पहुंच गईं। इनमें से 169 मरीजों को दृष्टि मिली, 147 का उपचार चिकित्सा विज्ञान के माध्यम से हुआ और 791 आंखें शोध अध्ययनों में सहायक बनीं।

नेत्र चिकित्सालय के विभागाध्यक्ष डॉ. कमलसिंह डोडिया के मार्गदर्शन में टीम मरीजों और उनके परिजनों को अंधेपन की रोकथाम, नेत्रदान और नेत्र रोगों से बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक कर रही है। चिकित्सालय की टीम में डॉ. हरेश गढ़िया, डॉ. नीतिबेन शेठ, डॉ. फाल्गुनी त्रिवेदी, डॉ. चेतना और अन्य कर्मचारी शामिल हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, नेत्र प्रत्यारोपण के लिए दो तरह की तकनीकें मौजूद हैं। चिकित्सीय तकनीक संक्रमण को दूर करने में सहायक एवं ऑप्टिकल तकनीक मरीजों को रोशनी प्रदान करने में कारगर हैं। परिवारजन मृतक की आंखें दान करने के लिए टोल-फ्री नंबर 1919 पर कॉल कर सकते हैं।

राजकोट की बढ़ती नेत्रदान दर इस बात का उदाहरण है कि सामूहिक प्रयासों और जागरूकता से समाज में बड़ा परिवर्तन संभव है। यह पहल न केवल अंधेपन से पीड़ितों के लिए नई रोशनी ला रही है, बल्कि मानवता की सेवा का भी उत्कृष्ट संदेश दे रही है।

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