सूरत में गूंजा “एक राष्ट्र – एक शिक्षा नीति” का स्वर

हजारों नागरिकों ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन, शिक्षा में समानता की मांग

सूरत में गूंजा “एक राष्ट्र – एक शिक्षा नीति” का स्वर

सूरत। शहर में गुरूवार को शिक्षा सुधार और राष्ट्रहित के मुद्दे पर ऐतिहासिक एकजुटता दिखाई। नेशन फर्स्ट (साकेत) के बैनर तले अठवा लाइंस स्थित कलेक्टर कार्यालय पर हजारों नागरिक, समाजसेवी, व्यापारी, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, महिलाएँ और युवा इकट्ठा हुए और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

दोपहर दो बजे से ही कलेक्टर कार्यालय परिसर में जनसैलाब उमड़ पड़ा। भीड़ में हर समाज और वर्ग के लोग शामिल थे। हाथों में बैनर लिए नागरिक एक स्वर में नारे लगा रहे थे— “एक देश – एक शिक्षा नीति लागू करो!” यह प्रदर्शन केवल नारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी का संदेश बन गया।

ज्ञापन में मांग रखी गई कि धार्मिक एवं विभाजनकारी शिक्षा प्रणालियों पर तत्काल रोक लगे और पूरे भारत में कक्षा 1 से 12 तक समान, वैज्ञानिक और रोजगारोन्मुख शिक्षा व्यवस्था लागू हो। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE-2009) के कड़ाई से पालन की अपील की गई। नागरिकों ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य डिग्री बाँटना नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और समाज को जोड़ना होना चाहिए।

कार्यक्रम को समाज के हर वर्ग का व्यापक समर्थन मिला। व्यापारी संगठनों से लेकर शिक्षकों, प्राचार्यों और शैक्षणिक संस्थानों ने कहा कि समान शिक्षा व्यवस्था ही भविष्य की असमानताओं को खत्म कर सकती है। महिलाओं और युवाओं की बड़ी भागीदारी ने इस आंदोलन को और ताक़त दी।

नेशन फर्स्ट (साकेत) पदाधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाए रखने के लिए शिक्षा व्यवस्था समान और एकीकृत होनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा वही होनी चाहिए जिससे डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और प्रशासनिक अधिकारी तैयार हों— न कि समाज में भेदभाव और संकीर्णता फैलाने वाले लोग।

कार्यक्रम में कई वरिष्ठजन और सामाजिक पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें सांवर प्रसाद बुधिया, रणछोड़भाई डोलिया, सुशील पोद्दार, नानालाल शाह, विक्रम सिंह शेखावत, एड. हेमंत देसाई, अशोक टिबङेवाल, एड. नटुभाई पटेल, कैलाश हाकिम, प्रकाश बिंदल, सुरेश मालपानी, राजेश माहेश्वरी, धीरुभाई सवाणी, विनोद जैन, शांति भाई वघासिया, दीपकभाई राजयगुरु, गिरीशभाई त्रिवेदी, रामअवतारजी पारीक, कविता दूबे, लता जैन, अशोक सारस्वत, गीरीश मित्तल, विपुल भगवागर, सीए राहुल अग्रवाल, मनीष टिबङेवाल सहित सैकड़ों संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल थे।

सूरत का यह विशाल ज्ञापन कार्यक्रम केवल औपचारिकता नहीं रहा, बल्कि नागरिकों का सामूहिक संकल्प था। जनता ने सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य और समान अवसरों की गारंटी के लिए “एक राष्ट्र – एक शिक्षा नीति” समय की मांग है।

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