वडोदरा में किफायती आवास परियोजनाओं में 12 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश

 प्रधानमंत्री आवास योजना से बढ़ी प्रतिस्पर्धा, निजी बिल्डरों को भी घटानी पड़ी कीमतें

वडोदरा में किफायती आवास परियोजनाओं में 12 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश

गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के घर के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “सबके लिए आवास मिशन” ने वडोदरा में आवास क्षेत्र को नई दिशा दी है। सरकारी योजनाओं के स्थान और किफायती कीमतों ने निजी बिल्डरों को भी प्रतिस्पर्धा में उतारा है, जिसके चलते पूरे शहर में किफायती आवास का विस्तार तेजी से हो रहा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना और इनसीटू परियोजनाओं के तहत वडोदरा नगर निगम ने अब तक 9733 घरों का निर्माण किया है। वहीं, वडोदरा शहरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (VUDA) ने 2017 से 2025 के बीच 8140 घर बनाए। इसके अतिरिक्त, 2427 घर पूरे हो चुके हैं और 7306 घरों का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिन पर लगभग 711 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

नगर निगम के कार्यकारी अभियंता निलेश परमार ने बताया कि सरकारी आवास योजनाओं का सबसे बड़ा आकर्षण प्राइम लोकेशन है, जिससे ज़रूरतमंद नागरिक आसानी से इन योजनाओं से जुड़ते हैं। इसके चलते निजी बिल्डरों को भी अपने प्रोजेक्ट की कीमतें कम करनी पड़ी हैं।

रेरा के आँकड़ों के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में वडोदरा में 45% आवासीय परियोजनाएँ किफायती आवास श्रेणी में दर्ज की गईं। 2020 से 2022 के बीच सरकार ने 130 परियोजनाएँ शुरू कीं, जबकि निजी बिल्डरों ने 1926 परियोजनाओं की शुरुआत की। इस तरह सरकारी और निजी प्रयासों से 2.56 लाख आवास इकाइयों का निर्माण संभव हुआ।

रेरा के अनुमान के मुताबिक, वडोदरा में किफायती आवास परियोजनाओं में अब तक 12 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है। अहमदाबाद के बाद वडोदरा राज्य में किफायती आवास निर्माण में दूसरे स्थान पर है। केवल 2023 में 912 और 2024 में 924 नई परियोजनाएँ शुरू की गईं।

निर्माण के रुझान के अनुसार, 2020 में ओपी रोड और पूर्वी क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट बने, जबकि 2021 के बाद से दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में अधिक निर्माण दर्ज किया गया। वहीं, शहर के मध्य और गोत्री क्षेत्र प्रीमियम आवास के केंद्र बन गए हैं।

नगर निगम द्वारा गोत्री, सयाजीपुरा, हरणी, भायली, सेवासी, कलाली, वारसिया और दंतेश्वर जैसे क्षेत्रों में बनाए जा रहे मकान निजी बिल्डरों की तुलना में कहीं अधिक किफायती साबित हो रहे हैं। जहाँ निजी बिल्डर लगभग 30 लाख रुपये में फ्लैट उपलब्ध कराते हैं, वहीं नगर निगम इन्हें कहीं कम दरों पर उपलब्ध करा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए नगर निगम को चरणबद्ध तरीके से सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए अनुदान देने की घोषणा की है, ताकि बाहरी क्षेत्रों में भी रहने की सुविधा और आकर्षण बढ़े।

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