विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर एकदिवसीय संगोष्ठी
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में हिंदू अध्ययन प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित
सूरत वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के हिंदू अध्ययन प्रतिष्ठान द्वारा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य 1947 के विभाजन से जुड़ी घटनाओं, कारणों और उससे उपजे मानवीय संकट को स्मरण करना तथा नई पीढ़ी को उससे सबक दिलाना था।
मुख्य वक्ता डॉ. भरत ठाकोर ने विभाजन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उससे जुड़े प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन केवल अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध संघर्ष नहीं था, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता की पुनर्स्थापना का प्रयास भी था। उन्होंने मोपला नरसंहार, डायरेक्ट एक्शन डे, नोआखली हिंसा जैसी घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि विभाजन केवल एक राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक निरंतरता पर सबसे बड़ा आघात था।
विशिष्ट वक्ता सहायक प्राध्यापक सुमित राय ने विभाजन के राजनीतिक कारणों पर चर्चा की और कहा कि मुस्लिम लीग की स्थापना, पृथक निर्वाचन प्रणाली और जिन्ना की अलग राष्ट्र की मांग ने हिंदू-मुस्लिम एकता को कमजोर किया। विभाजन लाखों परिवारों के लिए विस्थापन और पीड़ा का कारण बना।
अंत में हिंदू अध्ययन प्रतिष्ठान की ओर से यह संकल्प लिया गया कि ऐसे ऐतिहासिक विमर्श नियमित रूप से आयोजित होंगे, जिससे विद्यार्थी और शोधार्थी इतिहास की गहरी समझ विकसित कर सकें। कार्यक्रम का संचालन संकाय सदस्यों ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मंगल वर्धन दास साधु ने प्रस्तुत किया।