सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आयोजित किया ट्रम्प टैरिफ युद्ध पर सत्र, भारत के लिए 'संकट' नहीं 'अवसर'

विशेषज्ञों ने कहा – भारत पर सीमित असर, लेकिन नए निर्यात बाज़ार तलाशना होगा ज़रूरी

सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आयोजित किया ट्रम्प टैरिफ युद्ध पर सत्र, भारत के लिए 'संकट' नहीं 'अवसर'

सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने सोमवार, 18 अगस्त, 2025 को 'ट्रंप टैरिफ युद्ध: डील या नो डील - भारत के लिए इसका ज़्यादा महत्व क्यों नहीं' विषय पर एक महत्वपूर्ण सत्र का आयोजन किया। 

इसमें मुख्य वक्ता डॉ. इंजीनियर श्री सुनील पारेख (अध्यक्ष, सीईआरसी, भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों (ज़ाइडस लाइफ साइंसेज और जुबिलेंट भारतीय समूह) के वरिष्ठ रणनीति सलाहकार, संस्थापक क्यूरेटर, विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) जिनेवा @ एजीएस) ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक चुनौतियों पर सरल भाषा में गहरी समझ दी।

चैंबर अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ युद्ध का भारत पर सीधा और बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए उद्यमियों को इसे संकट की जगह एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था अपनी मजबूत आंतरिक मांग के कारण सुरक्षित है। 

डॉ. पारेख ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का निर्यात उसके कुल जीडीपी का एक छोटा हिस्सा है, इसलिए अमेरिकी टैरिफ का दीर्घकालिक नकारात्मक असर कम ही होगा। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार किया जाना देश की मजबूत दीर्घकालिक विकास क्षमता को दर्शाता है।

डॉ. पारेख ने कहा कि भले ही अमेरिका भारत के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है, लेकिन बदलते वैश्विक हालात को देखते हुए वैकल्पिक बाजारों की तलाश करना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि कपड़ा, हीरे और रसायन जैसे क्षेत्रों को नए बाजारों की जरूरत है। इसके लिए यूरोप, जापान, कोरिया, लैटिन अमेरिकी देश और अफ्रीका भारत के लिए महत्वपूर्ण निर्यातक बन सकते हैं।

डॉ. पारेख ने कनाडा और मेक्सिको का उदाहरण देते हुए बताया कि इन देशों का निर्यात अमेरिकी बाजार पर अत्यधिक निर्भर है, जबकि चीन का निर्यात बाजार कहीं अधिक व्यापक है। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने पर इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जबकि चीन पर इसका असर कम होगा। इस स्थिति को देखते हुए, ये देश भी अब अमेरिका के अलावा यूरोपीय संघ जैसे नए बाजार तलाश रहे हैं।

डॉ. पारेख ने सलाह दी कि भारत को ट्रंप टैरिफ के संभावित प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए जापान और कोरिया जैसे देशों के साथ जल्द से जल्द मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय, चैंबर और कंपनी स्तर पर उठाए जाने वाले कदमों पर भी प्रकाश डाला।

सत्र में चैंबर के उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला, मानद मंत्री बिजल जरीवाला, पूर्व अध्यक्ष रमेश वघासिया और शरद चंद्र कपाड़िया सहित कई उद्यमी और निर्यातक उपस्थित थे। इस सत्र का संचालन समूह अध्यक्ष संजय पंजाबी ने किया।

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