सूरत बना 'मिनी महाराष्ट्र' : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 3,000 से अधिक दही हांडी कार्यक्रम

गोविंदा मंडलों ने 35 फीट ऊँची दही हांडी फोड़कर बनाया रिकॉर्ड, 1.25 लाख तक दिए गए नकद पुरस्कार

सूरत बना 'मिनी महाराष्ट्र' : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 3,000 से अधिक दही हांडी कार्यक्रम

सूरत। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सूरत शहर इस बार सचमुच 'मिनी महाराष्ट्र' में बदल गया। गुजरात के इतिहास में पहली बार इतनी भव्यता के साथ 3,000 से अधिक दही हांडी कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 143 गोविंदा मंडलों ने हिस्सा लिया।

शहर के मोराभागल, लिंबायत और भागल चौराहे पर 35 फीट ऊँची दही हांडी बनाई गईं। हज़ारों दर्शकों की मौजूदगी में गोविंदा मंडलों ने पहली ही कोशिश में इन्हें फोड़कर नया रिकॉर्ड बना दिया।

सूरत शहर गोविंदा उत्सव समिति के अध्यक्ष गणेश सावंत ने बताया कि मुंबई की तर्ज़ पर सूरत में भी दही हांडी उत्सव को हर साल बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। इस वर्ष तीन मुख्य स्थानों पर आयोजन हुए, जिनमें सबसे बड़ा कार्यक्रम भागल चार रास्ता पर रहा। यहाँ पाँच दही हांडियाँ फोड़ी गईं, जिनमें महिला मंडलों की भागीदारी भी विशेष आकर्षण रही।

कार्यक्रम की भव्यता को ड्रोन कैमरों में कैद किया गया। ढोल-नगाड़ों और 'लेज़िम' की थाप पर गोविंदाओं की टोलियाँ उत्साहपूर्वक नाचती-गाती नज़र आईं। युवाओं के साथ-साथ महिला मंडलों ने भी पूरे जोश से भाग लिया। पहली बार 15 वर्षीय किशोरों के लिए विशेष दही हांडी का आयोजन किया गया, जिससे युवा पीढ़ी में नया उत्साह देखने को मिला।

दही हांडी फोड़ने वाले मंडलों को ₹25,000 से लेकर ₹1.25 लाख तक नकद पुरस्कार दिए गए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सी. आर. पाटिल ने भी तीनों प्रमुख स्थलों पर उपस्थित रहकर उत्सव की शोभा बढ़ाई।

विशेष रूप से, कुणालभाई सेलर के नेतृत्व में मोरा भागल में पहली बार दही हांडी कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें 16 गोविंदा मंडलों ने हिस्सा लिया। पूरा शहर "गोविंदा आला रे, गोपाला आला रे..." के नारों से गूंज उठा और प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतज़ाम किए।

सूरत में इस वर्ष का दही हांडी उत्सव सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एकता, युवा ऊर्जा और सामुदायिक उल्लास का प्रतीक बन गया।

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