राजकोट : कभी सिर्फ गिर जंगल तक सीमित शेर अब सौराष्ट्र के 35,000 वर्ग किमी में फैले

 बरडा क्षेत्र बना नया सुरक्षित ठिकाना, बरडा डूंगर में दो साल में 1 से 17 शेर

राजकोट : कभी सिर्फ गिर जंगल तक सीमित शेर अब सौराष्ट्र के 35,000 वर्ग किमी में फैले

कभी केवल गिर जंगल के 1,412 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में दिखाई देने वाले एशियाई शेर अब सौराष्ट्र के सभी जिलों में 35,000 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में देखे जा सकते हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, गिर वन का दायरा सिमटने के बावजूद शेर जंगल से बाहर निकलने के बजाय मौसम अनुकूल होने पर दूसरे जिलों में भी बसने लगे हैं।

बरडा डूंगर इसका ताज़ा उदाहरण है, जहां 2023 में एक वयस्क शेर स्वाभाविक रूप से आया था। 2025 की जनगणना में यहां 17 शेरों की मौजूदगी दर्ज हुई है। यह क्षेत्र 650 से अधिक पौधों की प्रजातियों, हरी-भरी घास, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, तेंदुआ, जरख, गिद्ध, चील और 260 से अधिक पक्षी प्रजातियों से समृद्ध है, जो शेरों के लिए आदर्श आवास साबित हो रहा है।

इतिहास गवाह है कि दशकों पहले शेर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों और कुछ विदेशी क्षेत्रों में भी पाए जाते थे। वर्तमान में वे सौराष्ट्र के जुनागढ़, सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, पोरबंदर, द्वारका, राजकोट, जामनगर और सुरेंद्रनगर में भी देखे जा सकते हैं। हालांकि जंगल के बाहर शेरों को स्थायी रूप से बसाने की परियोजना अभी धीमी गति से आगे बढ़ रही है।

राजकोट के आजी बांध पर स्थित चिड़ियाघर में अब तक 50 शेरों का जन्म हो चुका है। देश के अन्य चिड़ियाघरों के साथ अदला-बदली प्रणाली के जरिए यहां कई नए जानवर और पक्षी लाए गए हैं। इसी क्रम में, चिड़ियाघर के पास रांदरडा झील के किनारे एक विशाल शेर सफारी का निर्माण कार्य तेज़ी से जारी है, जो आने वाले समय में पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण बनेगा।

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