सूरत में धूमधाम से मनाया गया "बोनाला पंडुगा" त्योहार
तेलंगाना की संस्कृति और परंपराओं से रूबरू हुई नई पीढ़ी
सूरत। तेलंगाना राज्य से आकर सूरत के विभिन्न क्षेत्रों में बसे तेलुगु समुदाय ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करते हुए, आज "बोनाला पंडुगा" का त्योहार अत्यंत धूमधाम और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया। यह त्योहार, जो तेलंगाना के हर गाँव और शहरों में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
"बोनाला पंडुगा" मुख्य रूप से देवी माता को समर्पित है, जिन्हें विभिन्न नामों जैसे पोचम्मा, मृत्यलम्मा, रेणुका एलम्मा, मैसम्मा, मरम्मा और महाकालम्मा से पूजा जाता है। इस अवसर पर, सूरत में रहने वाली तेलुगु बहनें पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर एक भव्य जुलूस में शामिल हुईं।
यह जुलूस सहजानंद सोसाइटी गोडादरा स्थित नर्मदा अंबे माता मंदिर के प्रांगण में एकत्रित हुआ। यहां से, जुलूस सहजानंद चार रास्ता, श्रीजी नगर, रत्नप्रभा, आस्तिक नगर, बालाजी नगर से होते हुए गुजरात हाउसिंग बोर्ड, भाग्यनगर, आशापुरी गोडादरा में स्थित पोचम्मा (शीतला माता) मंदिर तक पहुँचा।
इस बोनाला पंडुगा महोत्सव में कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें 163 लिंबायत की लोकप्रिय विधायक श्रीमती संगीताबेन पाटिल, 168 चोर्यासी विधानसभा के विधायक संदीपभाई देसाई, उप-मेयर नरेंद्र पाटिल, ड्रेनेज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष विक्रमभाई पाटिल, वार्ड नंबर 25 के अध्यक्ष हेमंत मराठे, वार्ड नंबर 26 के भाजपा अध्यक्ष दीपकभाई पाटिल और पूर्व अध्यक्ष राजूभाई सुरती वर्तमान महामंत्री रापोलू बुचिरामोलु शामिल थे।
तेलुगु समुदाय के सदस्यों में तुम्मा रमेश, कोडुनुरी श्रीनिवास, नरसिंह अर्कल, एलिजिट नागेश, दसारी श्रीनिवास, रमेश एलिजिट, जज कहनकरम, कन्ना वेंकणा, वेंकटराम नरसाई, काली शेट्टी, दोसा उपेन्दर, सतीश बालने, कोंडाबातुला, श्रीनिवास, बुधरापु प्रसाद, सिद्ध श्रीनिवास, वेणुमरा, हास्य कलाकार श्रीनिवास डिकोंडा, किट्टू बोगा, जमुना वनम, सुरेश ममिंडालापल्ली, भास्कर चेरुकु, और बुगुलचारी भी उपस्थित थे।
बोनाला पंडुगा के इस भव्य जुलूस को सफल बनाने में तेलुगु बहनों, श्रीमती एना गंडुला कविता (पार्षद), गरदास राम, चित्याला स्वप्ना, जंजीराला काला और बुजम्मा ने अथक प्रयास किए। इस आयोजन ने सूरत में तेलुगु समुदाय की एकता और सांस्कृतिक जीवंतता को बखूबी प्रदर्शित किया।
बोनालु: तेलंगाना का एक राजकीय त्योहार
सूरत में लिंबायत वोर्ड के भाजपा महासचिव एवं तेलुगु समाज के अग्रणी रापोलु बुचिरामोलु ( मास्टरजी) ने त्यौहार के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बोनालु, तेलंगाना में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित है। यह उत्सव मुख्य रूप से हैदराबाद, सिकंदराबाद, तेलंगाना और रायलसीमा के कुछ हिस्सों में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। पारंपरिक रूप से, यह आषाढ़ माह (जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ता है) में आयोजित होता है। त्योहार के पहले और आखिरी दिन, देवी येल्लम्मा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
बोनालु का अर्थ और उत्सव का तरीका
'बोनम' शब्द का अर्थ है भोजन, जिसे देवी दुर्गा को अर्पित किया जाता है। इस त्योहार में महिलाएं मिट्टी या तांबे के बर्तनों में पके हुए चावल, दूध, दही, गुड़ और कभी-कभी प्याज भरकर 'बोनम' तैयार करती हैं। इन बर्तनों को सिर पर रखकर, वे ढोल-नगाड़ों की थाप और नर्तकों के साथ देवी के मंदिरों की ओर जाती हैं। बोनम के इन बर्तनों को छोटे नीम के पत्तों, हल्दी, केसर या कड़ी (सफेद आटे) से सजाया जाता है, और उनके ऊपर एक दीपक रखा जाता है, जो एक पवित्र ज्योति का प्रतीक है।
इस त्योहार के दौरान, देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, जैसे मैसम्मा, पोचम्मा, येल्लम्मा, पदम्मा, डोक्कलम्मा, अंकलम्मा, पोलेरम्मा और मारेम्मा के मंदिरों को रंग-बिरंगी सजावट से दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
तेलंगाना राज्य के गठन के बाद से, बोनालु को राजकीय उत्सव का दर्जा प्राप्त है, जो इसकी सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्ता को और बढ़ाता है। यह त्योहार तेलंगाना की समृद्ध विरासत और धार्मिक आस्था का प्रतीक है, जो हर साल लाखों लोगों को एक साथ लाता है।