सूरत : शिक्षक डांटें तो अभिभावक विवाद न करें, केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल
उधना में शाला प्रवेशोत्सव पर केंद्रीय मंत्री ने की अपील, सरकारी स्कूलों की शिक्षा की सराहना
सूरत : केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल ने आज उधना स्थित नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के एक स्कूल में बालिका शिक्षा एवं शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के पदाधिकारी, विधायक और पार्षद भी उपस्थित थे। सी.आर. पाटिल ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया और सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर व बुनियादी ढांचे की सराहना की।
केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि हमें बच्चों को अब्दुल कलाम बनाने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा, "यदि शिक्षक बच्चों को डांटते हैं, तो माता-पिता को उनसे लड़ने नहीं उतरना चाहिए, क्योंकि शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिए ही उन्हें डांटते हैं।
पाटिल ने प्रधानमंत्री के शाला प्रवेशोत्सव अभियान को छोटे से छोटे गांव तक पहुंचाने की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज छोटे बच्चों को आसानी से स्कूल में प्रवेश मिल जाता है, लेकिन जब बच्चे बड़े होते हैं, तो उन्हें प्रवेश मिलने में परेशानी होती है। इससे उनका भविष्य खराब होता है और इसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ता है।
सी.आर. पाटिल ने याद दिलाया कि यह कार्यक्रम प्रत्येक गांव में तीन दिन तक चलाया गया और आज इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पहले जब बच्चे और माता-पिता उन्हें स्कूल छोड़ने आते थे, तो उनकी आंखों में आंसू दिखाई देते थे। लेकिन आज बच्चे मुस्कुराते हुए स्कूल आते हैं और दूसरे बच्चों से आसानी से घुलमिल जाते हैं।
सूरत नगर निगम के स्कूलों की शिक्षा के स्तर की प्रशंसा करते हुए सी.आर. पाटिल ने कहा कि यहां बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दी जाती है। उन्होंने कहा कि आज शिक्षकों को गुरु के रूप में पूजा जाता है और नगर निगम के स्कूलों में बड़ा बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जाता है।
पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत अब्दुल कलाम को याद करते हुए सी.आर. पाटिल ने कहा कि यदि एक शिक्षक देश के लिए बहुत अच्छा काम कर सकता है, तो अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने बच्चों को आगे बढ़ाने और उन्हें अब्दुल कलाम बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल बड़े स्कूलों में पढ़कर कोई बच्चा आगे नहीं बढ़ सकता। बच्चों में शिक्षा की भूख होती है और बच्चों का भविष्य शिक्षकों के हाथ में होता है।कार्यक्रम में बालिका शिक्षा और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षा के महत्व पर विशेष जोर दिया गया।