सूरत : उत्रान स्टेशन पर यात्री सुविधाओं और नई ट्रेनों की मांग ने पकड़ा ज़ोर, रेल रोको आंदोलन की चेतावनी
यात्रियों को हो रही परेशानियों को लेकर रेलवे प्रशासन के खिलाफ बढ़ रहा आक्रोश, 8 जून को उत्रान स्टेशन पर प्रदर्शन की तैयारी
सूरत : सूरत के उत्रान रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर अब आक्रोश बढ़ता जा रहा है। एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव, नई ट्रेनों के संचालन और मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर स्थानीय निवासियों और यात्री संगठनों ने रेलवे प्रशासन को कई बार लिखित और मौखिक रूप से अभ्यावेदन दिए हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई न होने पर अब सूरत शहर कांग्रेस इकाई द्वारा 8 जून, 2025 को सुबह 10 बजे उत्रान स्टेशन पर 'रेल रोको' आंदोलन की चेतावनी दी है।
विभिन्न यात्री संगठनों और स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा महाप्रबंधक (जीएम) और सांसद को 10 जनवरी, 11 फरवरी, 8 मई और 27 मई, 2025 को प्रस्तुतियाँ दी गई हैं, जिनमें यात्रियों को होने वाली असुविधाओं पर प्रकाश डाला गया है।
सूरत शहर कांग्रेस अध्यक्ष धनसुख राजपुत और पश्चिम रेलवे जेडआरयूसीसी के पूर्व सदस्य कल्पेश बारोट ने जानकारी देते हुए कहा कि इन प्रस्तुतियों में मुख्य रूप से निम्नलिखित मांगों को तत्काल पूरा करने की अपील की गई है।
प्रमुख मांगें:
- उत्रान स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव: गुजरात क्वीन, गुजरात एक्सप्रेस, वडोदरा इंटरसिटी, मुंबई सेंट्रल-पोरबंदर सौराष्ट्र एक्सप्रेस, गुजरात सुपरफास्ट एक्सप्रेस, पश्चिम एक्सप्रेस, रणकपुर एक्सप्रेस, सौराष्ट्र जनता एक्सप्रेस, वडोदरा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, सयाजी नगरी सुपरफास्ट, पालिताणा वीकली सुपरफास्ट, अरावली एक्सप्रेस और वडोदरा इंटरसिटी जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनों का उत्रान स्टेशन पर ठहराव सुनिश्चित किया जाए।
- नई ट्रेनों का संचालन और आवृत्ति में वृद्धि: साप्ताहिक ट्रेनों को दैनिक किया जाए और उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र और राजस्थान के लिए दोपहर के समय भी नई ट्रेनें शुरू की जाएं। फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस, जो कोविड से पहले चलती थी, उसे फिर से शुरू किया जाए।
- सूरत से जामनगर इंटरसिटी एक्सप्रेस का पुनः संचालन: कोविड से पहले सूरत से जामनगर के लिए रोजाना चलने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस, जो फिलहाल वडोदरा से जामनगर जाती है और अक्सर खाली रहती है, उसे फिर से सूरत से चलाया जाए।
- यात्री सुविधाओं में सुधार: उत्रान रेलवे स्टेशन पर सीनियर सिटीजन यात्रियों के लिए लिफ्ट और कैब सुविधा जल्द से जल्द शुरू की जाए।
- श्रमजीवी वर्ग के लिए बेहतर कनेक्टिविटी: सूरत में प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या को देखते हुए, ट्रेनों को सूरत, उधना, सचिन, भेस्तान और उत्रान रेलवे स्टेशनों से भी चलाया जाए।
- मुंबई मॉडल का अनुसरण: मुंबई के दादर, बोरीवली, अंधेरी और बांद्रा स्टेशनों की तरह सूरत में भी उधना और उत्रान रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों का स्टॉपेज रखा जाए।
- भीड़ प्रबंधन: उत्तर भारत जाने वाली सभी ट्रेनों को अलग-अलग स्टेशनों से रवाना किया जाए ताकि भीड़ कम हो और हादसों से बचा जा सके।
- कुलियों का मानकीकरण: कुलियों का पहचान पत्र अनिवार्य किया जाए और उनका मेहनताना तय किया जाए।
पश्चिम रेलवे जेडआरयूसीसी के पूर्व सदस्य कल्पेश बारोट का कहना है कि 2008 से उत्रान रेलवे स्टेशन के विकास और एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग की जा रही है। उत्रान स्टेशन के आसपास कोसाड, अमरोली, मोटा वराछा, कोसाड आवास, वरियाव, ताइवादी, अब्रामा, कठोर जैसे कई गांव बसे हुए हैं, जिनकी आबादी 15 से 20 लाख से अधिक है और यह लगातार बढ़ रही है।
इस आबादी में उत्तर भारतीय, पाटीदार, राजस्थानी, मध्य गुजरात और उत्तर गुजरात के लोग तथा ओडिशा के निवासी शामिल हैं। यदि उत्रान स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव और नई ट्रेनें शुरू की जाती हैं, तो इससे रेलवे प्रशासन और यात्रियों दोनों को सीधा लाभ होगा।
पश्चिम रेलवे जेडआरयूसीसी के पूर्व सदस्य कल्पेश बारोट ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया और उन्हें लिखित में जानकारी नहीं दी गई, तो वे 8 जून, 2025 को सुबह 10 बजे उत्रान स्टेशन पर जनहित में 'रेल रोको' आंदोलन करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होगी।