सूरत : जीयूवीएनएल के नए नियम से अक्षय ऊर्जा कारोबारी परेशान, एसजीसीसीआई ने सरकार को सौंपा प्रस्ताव
दक्षिण गुजरात में 700 मेगावाट की परियोजनाएं प्रभावित, उद्योगपतियों को हो सकता है भारी नुकसान
सूरत: गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के नए नियम से दक्षिण गुजरात के अक्षय ऊर्जा कारोबारी परेशान हैं। इस मुद्दे पर दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) ने शुक्रवार को एक बैठक आयोजित की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार को एक प्रस्ताव सौंपा जाएगा जिसमें जीयूवीएनएल के इस आदेश में बदलाव की मांग की जाएगी।
एसजीसीसीआई के अध्यक्ष, विजय मेवावाला ने बताया कि जीयूवीएनएल ने हाल ही में एक नोटिस जारी किया है जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए ऊर्जा बैंकिंग की सीमा को घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। यह फैसला दक्षिण गुजरात में 700 मेगावाट से अधिक की परियोजनाओं को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार और जीईआरसी के नियमों के अनुसार, कम से कम 30 प्रतिशत ऊर्जा बैंकिंग का प्रावधान था। लेकिन जीयूवीएनएल का यह नया नियम उद्योगपतियों के लिए एक बड़ा झटका है और इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।"
बैठक में उपस्थित उद्योगपतियों और विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस नए नियम से न केवल निवेश पर असर पड़ेगा बल्कि राज्य में अक्षय ऊर्जा के विकास को भी बाधित किया जाएगा।
एसजीसीसीआई अब राज्य सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव सौंपेगा जिसमें जीयूवीएनएल के इस आदेश को वापस लेने या इसमें संशोधन करने की मांग की जाएगी। चैंबर ने उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार उद्योगपतियों की समस्याओं को गंभीरता से लेगी और उनके हित में फैसला करेगी।
उपरोक्त बैठक में चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय मेवावाला, कोषाध्यक्ष मृणाल शुक्ल, पूर्व अध्यक्ष बी.एस. अग्रवाल, चैंबर के पूर्व अध्यक्ष और पांडेसरा वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष गुजराती, साउथ गुजरात सोलर एसोसिएशन के अध्यक्ष तेजस पटेल, वेड रोड आर्ट सिल्क स्मॉल स्केल को-ऑप फेडरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष देवेश पटेल , मयंक दलाल, एडवोकेट डॉ. अनिल सरावगी, दक्षिण गुजरात टेक्सचराइजिंग एसोसिएशन के सचिव सुरेश पटेल, कीम-पिपोदरा एसोसिएशन के किशोर बोधानी और नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े हितधारक उपस्थित थे।