सूरत : रघुकुल समाधान समिति की मीटिंग में भी छाया रहा पार्सल का मुद्दा
बैठक में मौजूद कपड़ा कारोबारियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की
औद्योगिक नगरी सूरत में कपड़ा मार्केट में इन दिनों ट्रांसपोर्ट का मुद्दा छाया हुआ है। ट्रांसपोर्टरों द्वारा पार्सल का वजन 65 किलो करने की घोषणा के बाद से ही विविध मार्केट के व्यापारियों ने पार्सल के वजन 70 से 75 किलो तक करने की मांग की है। पार्सल का बीमा कराने पर सभी व्यापारियों ने सहमति जता दी है। ट्रांसपोर्ट का मुद्दा शनिवार को रघुकुल मार्केट समाधान कमेटी की मीटिंग में भी छाया रहा, जिसमें मौजूद बड़ी संख्या में व्यापारियों ने अपनी प्रक्रिया व्यक्त की।
प्रत्येक शनिवार को रघुकुल टेक्सटाइल मार्केट में रघुकुल समाधान समिति की मीटिंग आहूत की जाती है। इसमें प्रायः मार्केट के व्यापारियों की समस्याओं पर चर्चा की जाती है। परंतु इस 23वीं मीटिंग में विशेष रूप से व्यापारियों ने ट्रांसपोर्ट के पार्सल के वजन व साइज के संदर्भ में शिकायत की। व्यापारियों ने कहा कि 65 किलो के वजन की सीमा तय करने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और नुकसान भी होगा। हमें इंश्योरेंस करवाने में कोई तकलीफ नहीं लेकिन वजन से सहमत नहीं हैं। हमारे अनुसार 72 से 75 किलो का वजन ही जायज है। हालांकि इस मीटिंग में पिछले 3 हफ्तों में 13 लाख 67 हजार 410 रुपए की समाधान बातचीत के माध्यम से सप्लायर की रकम मंगवाने में सफलता मिली।
व्यापारियों ने ट्रांसपोर्ट के क्लेम संबंधित समस्या के बारे में जानकारी दी और बताया कि कोई भी ट्रांसपोर्ट पार्सल के खो जाने एवं क्षति होने पर क्लेम आने पर जरुरी कागजात देने में इतना विलंब कर देता है कि इंश्योरेंस से क्लेम मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में भुगतान देने में पहले तो आनाकानी करने में काफी समय व्यतीत कर देते है और जब सेटलमेन्ट भी करते हैं तो अपनी शर्तो के हिसाब से 35 से 60 प्रतिशत तक ही करते हैं। मीटिंग में एक ही पार्टी पर 1.25 करोड़ के ऊपर का केस आया है। उसको गंभीरता से लेते हुए वकील के द्वारा करवाई शुरू की गई। मीटिंग में राजीव ओमर, उपाध्यक्ष संतोष अग्रवाल, एडवोकेट सचिन घुगे, राकेश मौर्य, गीता सोलंकी, किंजल पटेल, पार्थ देवरा और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन एवं व्यापारिक संगठन शत प्रतिशत क्लेम सेटलमेंट का लिखित आश्वासन दें : राजीव चिरानिया
कारोबारी राजीव चिरानिया ने बताया कि हम व्यापारियों की भी अनेक समस्याएं होती हैं। आज के प्रतिस्पर्धा के समय में कास्टिंग बढ़ने पर दूसरे राज्यों की मंडियों के व्यापारी माल लेने को तैयार नहीं होंगे। ऐसे में उसका अधिक भार हम व्यापारियों को भुगतना होगा। सूरत गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन व व्यापारिक संगठनों को हम व्यापारियों की ट्रांसपोर्ट संबंधी समस्या पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्लेम होने पर ट्रांसपोर्ट की ओर से तत्परता नहीं दिखाई जाती, जिससे कभी-कभी विलंब होने से क्लेम नहीं मिल पाता है। यदि ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन एवं व्यापारिक संगठन क्लेम सेटलमेंट 30 दिन के अंदर कराने व पूरी रकम चुकाने का लिखित में आश्वासन देते हैं तो हम सब व्यापारी उनकी हर बात मानने को तैयार हैं।
इंश्योरेंस तो व्यापारियों को ही कराना होगा : युवराज देसले
पार्सल के वजन एवं साइज को लेकर चल रही चर्चा के बीच व्यापारियों ने पार्सल का इंश्योरेंस बिल्टी के साथ जोड़ने की बात कही थी। जिस पर जवाब देते हुए सूरत गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रमुख युवराज देसले ने बताया कि देशभर में जो नियम लागू हैं उसी के अनुसार कार्य होते हैं। लीगली तौर से इंश्योरेंस की जवाबदारी व्यापारियों की है और उन्हें ही कराने पड़ेंगे। रही बात अप्रत्याशित घटना के समय, तो ट्रांसपोर्ट एफआईआर कराती ही है। साथ ही व्यापारी को एनडी (नॉन डिलीवरी) सर्टिफिकेट भी देती है जिसकी कॉपी इंश्योरेंस कंपनी को देने पर उनको बीमा राशि मिल जाती है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी एक दो पार्सल मानवीय भूल से गुम हो जाने या चोरी हो जाने पर व्यापारिक दृष्टि से उसका सेटलमेंट किया जाता है।