सूरत : उमरपाड़ा का देवघाट अनछुआ स्वर्ग, जहां प्रकृति और आस्था का मिलन होता है

सतपुड़ा की पहाड़ियों में बसा यह इको-टूरिज्म केंद्र पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है

सूरत : उमरपाड़ा का देवघाट अनछुआ स्वर्ग, जहां प्रकृति और आस्था का मिलन होता है

सूरत के उमरपाड़ा तालुका में बसा देवघाट, प्रकृति प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। सतपुड़ा की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित यह स्थान, झरनों, नदियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। देवघाट न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है बल्कि आदिवासी संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

आस्था और प्रकृति का संगम

यहां याहामोगी माता, कालिका माता, विन्या देव और राजा पंटू जैसे आदिवासी देवताओं के मंदिर स्थित हैं। इन देवताओं को आदिवासी समाज आस्था और श्रद्धा की दृष्टि से देखता है। इन मंदिरों में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा, यहां बजरंग बली और भगवान शिव के मंदिर भी हैं।

प्रकृति का आनंद

देवघाट में प्रकृति का आनंद लेने के लिए कई विकल्प हैं। यहां आप झरने के नीचे बैठकर ठंडी हवा का आनंद ले सकते हैं, नदी में डुबकी लगा सकते हैं या फिर जंगल में टहल सकते हैं। वन विभाग ने यहां एक इको-टूरिज्म केंद्र भी बनाया है जहां पर्यटक रात रह सकते हैं।

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इको-टूरिज्म का अनुभव

दिवतन ग्राम पर्यटन समिति द्वारा संचालित इस इको-टूरिज्म केंद्र में आधुनिक सुविधाओं के साथ आरामदायक कमरे उपलब्ध हैं। यहां आने वाले पर्यटक https://devghatecotourism.in/ वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण त्योहार

देवघाट में महाशिवरात्रि और मकर संक्रांति जैसे त्योहारों का विशेष महत्व है। इन त्योहारों के दौरान यहां मेले लगते हैं और बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं।

पर्यटकों के लिए सुझाव

रमेश वसावा, इको-टूरिज्म समिति के अध्यक्ष, ने पर्यटकों से अपील की है कि वे यहां आकर प्रकृति का सम्मान करें और स्थानीय लोगों के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करें। बारिश के मौसम में यहां सावधानी बरतने की जरूरत है, खासकर झरनों के पास।

देवघाट सूरत के पास एक ऐसा अनछुआ स्वर्ग है जहां आप प्रकृति और आस्था का मिलन कर सकते हैं। अगर आप शांत वातावरण में कुछ समय बिताना चाहते हैं तो देवघाट आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

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