जिस गांव ने चार-चार विधायक दिये, वहां के बाशिंदे कोरोना काल में सुविधाओं को तरस रहे!

जिस गांव ने चार-चार विधायक दिये, वहां के बाशिंदे कोरोना काल में सुविधाओं को तरस रहे!

इन दिनों गांव राजनीतिक जुड़ाव के कारण नहीं, बल्कि कोरोना से होने वाली मौतों के कारण चर्चा में है।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरे देश में हाहाकार मचा रखा है। कोरोना ने भारत की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को हिला कर रख दिया है। देश अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। शहर के साथ सतह गांवों में भी कोरोना फैलना शुरू हो गया है। एक अखबार ने सिरसा पन्नीवाला मोटा ओढ़ा, नुइयांवाला, गोरीवाला, गंगावाली, छोटाला, तेजाखेड़ा फार्म, डबवाली और कालांवाली का दौरा कर स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली।
आपको बता दें कि अधिकांश स्वास्थ्य प्रणाली अधुरे रूप से ही कार्यरत थी और सारी व्यवस्था आधी-अधूरी ही थी। सैनिटाइजेशन भी फंड जुटाकर ही किया जाता है। प्रदेश के एक तरफ स्थित सिरसा गांव पर कोरोना के विनाशकारी असर देखे जा सकते है। राजस्थान और पंजाब की सीमा के पास एक वीवीआईपी गांव चोटाला में स्थिति विकट है। पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के पैतृक गांव के 4 लोग वर्तमान समय में विधायक हैं। इसमें उपमुख्यमंत्री दुष्यंत छोटाला, नैना छोटाला, मंत्री रंजीत सिंह और अमित सिहाग शामिल हैं, लेकिन इन दिनों गांव राजनीतिक जुड़ाव के कारण नहीं, बल्कि कोरोना से होने वाली मौतों के कारण चर्चा में है।
आपको बता दें कि 20 हजार की आबादी वाले गांव में 1500 संक्रमित मरीज मिले हैं। ग्रामीणों के मुताबिक औसतन हर घर में एक कोरोना का मरीज है। सरकारी आंकड़े इन दावों से मेल नहीं खाते, लेकिन श्मशान घाट की हकीकत कुछ और है। यहां 15 दिन से रोजाना 2 लाशें जल रही हैं।
गंभीर मरीजों को राजस्थान के हनुमानगढ़ या पंजाब के बनठीडा ले जाना पड़ता है। ऑक्सीजन सिस्टम भी 28 किमी दूर सूर डबवाली में है। ग्रामीणों का कहना है कि वे यहां अस्पताल जाने से डरते हैं। यहाँ स्टाफ रेफर ही करती है। इस स्थिति के बीच दुःख की बात तो यह है कि राजनीतिक संबंधों वाले इस गाँव को कोई भी नेता अभी तक पूछने नहीं पहुंचा है।
ग्रामीणों ने नेताओं की निंदा करते हुए कहा कि उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। पंचायत भंग होने के बाद सेनेटाइजर का भी इंतजार खुद ही करना पड़ रहा है। 40 घरों के लोग 15 हजार रुपये का फंड जुटाकर अपने स्तर पर स्वच्छता संग्रह करते हैं। कोरोना फैलने को लेकर चोटाला गांव में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि पीने के साफ पानी की कमी की समस्या पैदा हो रही है। पहले कैंसर फैल रहा था। अब सर्दी-खांसी की समस्या है। गांव में आज भी 50 से ज्यादा कैंसर के मरीज हैं। इसका कारण दूषित भू-जल है। चोटाला के 8-10 ग्रामीण रोजाना पंजाब से आने वाली कैंसर ट्रेन में इलाज के लिए बीकानेर जाते हैं।
Tags: