सूरत : कोरोना काल में सेवा का ये रूप, अस्थियां बिनकर स्वजनों को देते हैं ये युवा

सूरत : कोरोना काल में सेवा का ये रूप, अस्थियां बिनकर स्वजनों को देते हैं ये युवा

बड़ी संख्या में लोग नहीं आते अस्थियां लेने, विधिवत अस्थियों को हरीद्वार भेज कर गंगा नदी में करवाते है विसर्जित

कोरोना महामारी के कारण सूरत में अस्पतालों में लंबा वेइटिंग चल रहा है।लंबी-लंबी लाइने लगानी पड़ रही हैं। परिस्थिति को देखते हुए प्रशासन ने पाल में बीते 14 साल से बंद कैलाश मोक्षधाम को शुरू करवाया है। जहां पर निशुल्क दाहविधि की जा रही है। साथ ही मृतकों की अस्थि विसर्जन की जिम्मेदारी भी ली जा रही है। जिन मृतक के संबंधित अस्थि लेने के लिए नहीं आते उनकी अस्थियां गंगा नदी में भी विसर्जन के लिए भेजी जा रही हैं। 
कैलाश धाम शमशान भूमि में खुले मैदान में चिता बनाकर रात के समय कोरोना की गाइडलाइन के अनुसार 11 अप्रैल से दाहविधि शुरू की गई है। अब तक यहां 275 मृतदेहों की अंतिम क्रिया की गई है। कई मृतकों के परिवार के अंतिम विधि के बाद उनकी अस्थिया मांगते हैं। जबकि 90 प्रतिशत लोग नहीं मांगते। यहां अस्थियां इकट्ठा करने का काम अडाजन के सुरेश पटेल ने शुरू किया है। अस्थियां इकट्ठे करने के बाद वह मृतक के परिवारजनों को फोन करके बुलाते हैं। 
कई मृतकों के परिचित अस्थियां ले जाते हैं जबकि बड़ी संख्या में लोग लेने भी नहीं आते। कोई आता भी है तो सिर्फ दूध का अभिषेक कर के चले जाता है। इन अस्थियों को इकट्ठा करके वह हरिद्वार भेज रहे हैं। जिसे की विधिवत तौर से गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है। इसके बाद मृतक के परिचित को फोन कर देते हैं। सुरेश भाई ने कहा कि मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन को लेकर लोगों में आस्था जुड़ी हुई है। इस आस्था का भंग नहीं हो इसलिए गांव के लोगों के साथ मिलकर उन्होंने यह सेवा कार्य शुरू किया है। अब तक 200 से अधिक अखियां विसर्जन के लिए भेजी जा चुकी है।