कपड़ा उद्योगों में मजदूरों की कमी, स्पिनिंग मिलों की रफ्तार पड़ी धीमी

कपड़ा उद्योगों में मजदूरों की कमी, स्पिनिंग मिलों की रफ्तार पड़ी धीमी

स्पिनिंग मिलों की सुस्ती से कॉटन की घरेलू खपत घटने की आशंका जताई जा रही है।

प्रमोद कुमार झा 
नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)| कोरोना के दोबारा गहराते प्रकोप और चुनावी माहौल के बीच मजदूरों की कमी के चलते देश के कपड़ा उद्योग का कामकाज भी प्रभावित हुआ है। खासतौर से स्पिनिंग मिलों की रफ्तार धीमी पड़ गई है। स्पिनिंग मिलों की सुस्ती से कॉटन की घरेलू खपत घटने की आशंका जताई जा रही है। देश में कृषि के बाद सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार देने वाला कपड़ा उद्योग मजदूरों की कमी से जूझ रहा है।
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo : Youtube)
उद्योग संगठनों ने बताया कि कोरोना काल में औद्योगिक नगरों से पलायन करने वाले मजदूरों में से करीब 80 फीसदी ही वापस लौटे थे, बाकी अपने गांवों में ही रह गए। अब विभिन्न राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों में वोट डालने के लिए मजदूर लौट रहे हैं, जिससे मिलों के कामकाज पर असर पड़ा है। पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में इस समय विधानसभा चुनाव चल रहे हैं।
उद्योग संगठन साउदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी के. सेल्वाराजू ने बताया कि होली की छुट्टी में मजदूर अपने गांव गए हैं। पश्चिम बंगाल में चुनाव है, इसलिए मजदूर वोट डालने के लिए अपने घर लौट रहे हैं, जिससे मिलों में मजदूरों की कमी हो गई है, जिसका उत्पादन पर असर पड़ेगा। सेल्वाराजू ने बताया कि मजदूरों की कमी आगे एक-दो महीने बनी रहेगी, क्योंकि दक्षिण भारत में गर्मी भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रकोप दोबारा बढ़ने से कोलकाता और मुंबई के बाजारों में मांग में कमी आने से भी उद्योग पर असर पड़ा है। उन्होंने बताया कि कपड़ों की मांग में कमी होने से यार्न के दाम में पांच से 20 रुपये प्रतिकिलो की कमी आई है।
उद्योग संगठन के अनुसार, यार्न की निर्यात मांग सुस्त है, जिसका असर कॉटन की घरेलू खपत पर भी पड़ेगा। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने भी बताया कि मजदूरों की कमी के चलते स्पिनिंग मिलों में कॉटन की खपत कम रहेगी।
हालांकि उत्तर भारत के हौजरी उद्योग में कोरोना के कारण मजदूरों की कमी तो नहीं हुई, लेकिन तैयार कपड़ों की बिक्री पर असर जरूर पड़ा है। निटवेअर एंड अपेरल मन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रेसीडेंट सुदर्शन जैन ने आईएएनएस को बताया कि 20 मार्च के बाद बीते 10 दिनों में हौजरी व रेडीमेड गारमेंट की मांग करीब 30 से 35 फीसदी घट गई है, क्योंकि कोरोना का कहर दोबारा गहराने से लोगों का आवागमन कम होने लगा है। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न शहरों से जो ऑर्डर आते थे, उसमें कमी आई है।
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