सूरत : थर्मैक्स लिमिटेड द्वारा ऊर्जा बचत और जल पुन: उपयोग पर तकनीकी संगोष्ठी आयोजित
उद्योगों में ऊर्जा संरक्षण, जल प्रबंधन और कोयले के कुशल उपयोग पर विशेषज्ञों ने दी अहम जानकारी
सूरत। ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से थर्मैक्स लिमिटेड ने सूरत के अठवा लाईन्स स्थित होटल मैरियट में "ऊर्जा संरक्षण - जल पुन: उपयोग और कोयले का कुशलतापूर्वक उपयोग कैसे करें" विषय पर एक तकनीकी संगोष्ठी का आयोजन किया। यह संगोष्ठी मुख्य रूप से कपड़ा उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए आयोजित की गई थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दक्षिण गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन (SGTPA) के अध्यक्ष जितेंद्रभाई पी. वखारिया ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि, "ऊर्जा की बचत अब केवल एक विकल्प नहीं रही, बल्कि यह प्रत्येक उद्योग की ज़िम्मेदारी बन चुकी है।"
जितेंद्रभाई वखारिया ने ईटीएस-एआईआर (उत्सर्जन व्यापार योजना) और ईटीएस-वाटर (जल व्यापार योजना) के कार्यान्वयन से औद्योगिक इकाइयों को हुए लाभों का उल्लेख किया और उद्योगों से पर्यावरणीय अनुपालन को प्राथमिकता देने की अपील की।
थर्मैक्स लिमिटेड के विशेषज्ञों ने संगोष्ठी में अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ETP), शून्य द्रव उत्सर्जन (ZLD), जेट व ड्रम जल पुनर्चक्रण प्रणाली, भाप प्रणाली का अनुकूलन और कोयले की दक्षता बढ़ाने के उपायों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि ऊर्जा दक्षता के लिए उच्च दक्षता वाले बॉयलर, स्वचालित ब्लोडाउन प्रणाली, वीएफडी, और अपशिष्ट ऊष्मा पुनर्प्राप्ति प्रणाली अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही हैं।
जल संरक्षण के संदर्भ में यह बताया गया कि जल संतुलन, उबले जल की निगरानी, और पुनर्चक्रण प्रणाली के माध्यम से अब तक 62 उद्योगों में उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं। इन उपायों ने न केवल पर्यावरणीय अनुपालन को बेहतर बनाया है, बल्कि उद्योगों को परिचालन लागत बचत में भी मदद की है।
यह संगोष्ठी न केवल उद्योगपतियों को नवीन तकनीकी समाधानों से अवगत कराने में सफल रही, बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाने की दिशा में एक सार्थक पहल भी सिद्ध हुई। आयोजकों ने बताया कि भविष्य में भी ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों की श्रृंखला जारी रखी जाएगी, जिससे उद्योग क्षेत्र में स्थायित्व और दक्षता को बढ़ावा मिले।