जल्द आ सकती है दुनिया में तबाही, संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने पेश किए चौंका देने वाले रिपोर्ट

जल्द आ सकती है दुनिया में तबाही, संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने पेश किए चौंका देने वाले रिपोर्ट

वैश्विक तापमान को स्थिर होने में लग सकते है लगभग 20 से 30 साल

संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल वार्मिंग चेंज पैनल ने एक रिपोर्ट में कहा कि शहर ग्लोबल वार्मिंग के 'हॉट स्पॉट' बन गए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वातावरण को ठंडा रखने के लिए पानी और पेड़-पौधों के संसाधनों की कमी बरतने लगी है। बिना कुछ सोचे पेड़ों को काटने से और डीफोरेस्टेशन के कारण पेड़-पौधे कम होने लगे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर समुद्र का स्तर 1901 और 2018 के बीच औसतन 0.20 मीटर बढ़ा है।
संयुक्त राष्ट्र के आंतरिक सरकारी पैनल ने सोमवार को अपनी छठी रिपोर्ट जारी की। बता दें कि भारत भी इस पैनल का हिस्सा है। इस अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में पृथ्वी और जलवायु पारिस्थितिकी तंत्र की जानकारी हासिल की है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि शुरू से ही जलवायु परिवर्तन की गंभीर कठिनाइयों की आशंका थी। इसकी भरपाई लगभग असंभव है। उदाहरण के लिए, समुद्र का स्तर फिर से बढ़ने में हजारों या सैकड़ों साल भी लग सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन के घातक प्रभावों से बचने के लिए पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जाना चाहिए। हालांकि इसके लिए सभी देशों को सहमत होकर आगे आना अनिवार्य है। कार्बन उत्सर्जक देशों की एक बैठक इस साल ब्रिटेन के ग्लासगो में होगी, जिसमें प्रदूषकों की मात्रा कम करने की कवायद की जाएगी। हालांकि इन सभी प्रयासों के बाद भी पृथ्वी के वैश्विक तापमान को स्थिर होने में लगभग 20 से 30 साल लग सकते है। 
रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आई है। 
  • पृथ्वी तीव्रता से गर्म हो रही है। 2030 तक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। जो की काफी खतरनाक है।
  • समुद्र का स्तर प्रति वर्ष 1.3 मीटर की औसत गति से बढ़ रहा है।
  • गर्मी और लू की घटनाएं पहले की तुलना में अधिक हैं
  • मानव गतिविधियों के कारण हो रहा जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के खतरनाक परिणामों के लिए जिम्मेदार है। अगर तुरंत लगाम नहीं लगाई गई तो इसकी भरपाई करना असंभव है।
  • वातावरण में आकस्मिक और असामान्य परिवर्तन देखा जा राहा है। एक साथ दो या उससे अधिक प्राकृतिक आपदाएं एक साथ आती है।
  • विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा या ग्लोबल वार्मिंग की घटना के लिए एक विशिष्ट कारण बताना मुश्किल है। लेकिन मानवीय गतिविधियों के प्रभाव और तीव्रता का अच्छी तरह से आकलन किया जा सकता है।
  • सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी की आवश्यकता होगी। पेट्रोल-डीजल के साथ ग्रीनहाउस उत्सर्जन को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
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