सूरत : ट्राफिक ब्रिगेड सदस्यों को सेवानिवृत्त करना अवैद्य, कांग्रेस लिगल सेल द्वारा पीआईएल दाखिल करने की तैयारी

राज्य सरकार के दबाव में पुलिस महानिदेशक द्वारा जारी आदेश वापस लेने की मांग

सूरत : ट्राफिक ब्रिगेड सदस्यों को सेवानिवृत्त करना अवैद्य, कांग्रेस लिगल सेल द्वारा पीआईएल दाखिल करने की तैयारी

 ट्राफिक ब्रिगेड में 10, 5 और 3 साल से अधिक समय सेवा दे चुंके सदस्यों को सेवानिवृत्त करने का राज्य के पुलिस महानिदेशक के आदेश के बाद सूरत इश्वर फार्म में ट्राफिक सदस्य एकजुठ हुए। कांग्रेस लिगल सेल के अध्यक्ष एडवोकेट जमीर शेख की अगुवाई में पुलिस महानिदेशक को यह आदेश वापस लेने की पेशकश की गई अन्यथा जनहीत याचिका दायर करने की तैयारी दिखाई।

कांग्रेस लिगल सेल के अध्यक्ष एडवोकेट जमीर शेख ने जानकारी देते हुए कहा‌ कि सरकार के दबाव में दिनांक 18/11/2023 को पुलिस महानिदेशक एवं मुख्य पुलिस अधिकारी, पुलिस बल प्रमुख, गुजरात राज्य, गांधीनगर पत्र क्रमांक. पत्र एस/टीबी/ट्रैफिक/1103/2023 में कहा गया है कि लगभग 9000 ट्रैफिक ब्रिगेड सदस्यों में से 1100 सदस्यों ने अपने प्रस्थान के 10 वर्ष से अधिक समय पूरा कर लिया है, 3000 सदस्यों ने ट्राफिक ब्रिगेड में 5 वर्ष का समय पुरा कर लिया है और 2300 सदस्यों ने ट्राफिक ब्रिगेड में 3 साल का समय पुरा कर लिया है उन्हें सेवानिवृत्त करना चाहते हैं । 

उनकी भर्ती के समय ऐसे कोई नियम नहीं थे और यह पूरी तरह से अनुचित है कि आप अपनी शक्ति का उपयोग करके सरकार का मोहरा बनना चाहते हैं और यातायात ब्रिगेड कर्मियों को ड्यूटी से मुक्त करना चाहते हैं। अत: मानवता के हित में हमारा निवेदन है कि पुलिस महानिदेशक एवं मुख्य पुलिस अधिकारी द्वारा जारी पत्र को वापस लिया जाये। और यदि यह पत्र वापस नहीं लिया गया तो हम न्यायहित में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने के लिए बाध्य होंगे और इसकी सारी जिम्मेदारी सरकारश्री के साथ-साथ प्रशासनिक मुखिया के तौर पर आपकी होगी।

कांग्रेस लीगल सेल के अध्यक्ष एडवोकेट जमीर शेख ने कहा कि बेरोजगार युवाओं से पूरी ड्यूटी ली जाती है। तकनीकी नाम मानद सेवा के रूप में दिया गया है। श्रम कानून के अनुसार 400 रुपये से अधिक का भुगतान किया जाना चाहिए, लेकिन बहुत कम मुआवजा दिया जाता है। यह श्रम कानूनों के दुरुपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। 180 दिनों से अधिक की सेवा के बाद टीआरबी जवानों की सेवो को समाप्त नहीं किया जा सकता है। सरकार को लगता है कि टीआरबी में दस साल से अधिक समय तक एक ही स्थान पर सेवा देने वाले लोग भ्रष्ट हो सकते हैं।

यह सर्कुलर पूरी तरह से कानून के खिलाफ है। 300 रुपये देकर टीआरबी जवानों का शोषण किया जाता है। हालांकि, युवक ने दस साल तक सेवा की। टीआरबी जवानों के नाम पर बने ट्रस्ट के लाभार्थी टीआरबी सदस्य हैं। मगर यह ट्रस्ट केवल टीआरबी कर्मियों का शोषण करने के लिए बनाया गया है। जो संविधान के खिलाफ है और हम इसे कोर्ट में ले जाएंगे।

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