आजादी के अमृत काल में भी ब्रिटिश हुकूमत में जी रहा कानपुर रेलवे!

कानपुर का जो तीन अक्षरों का कोड है वह कानपोर नार्थ बैरक्स से बना हुआ है

आजादी के अमृत काल में भी ब्रिटिश हुकूमत में जी रहा कानपुर रेलवे!

कानपुर (कान्हापुर), 26 अप्रैल (हि.स.)। देश की आजादी को 75 साल हो गये और आजादी की याद में अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा है, लेकिन कानपुर रेलवे आज भी ब्रिटिश हुकूमत में जी रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि रेलवे में कानपुर का जो तीन अक्षरों का कोड है वह कानपोर नार्थ बैरक्स से बना हुआ है जिसे सीएनबी के नाम से जाना जाता है। यह बात कानपुर के हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. विनय कृष्णा बुधवार को हिन्दुस्थान समाचार से कही।

उन्होंने कहा कि सीएनबी शब्द देखकर अक्सर लोग चकित हो जाते हैं और सवाल करते हैं, तब जानकार लोग बताते हैं कि कानपुर को अंग्रेजो के समय कानपोर कहा जाता था। उस समय 1855 में देश की चौथी रेलवे लाइन कानपोर नार्थ बैरक्स से इलाहाबाद के बीच बिछना शुरु हुई थी। इसलिए सीएनबी शब्द कानपुर (कानपोर) को संबोधित करके कोड किया गया है। सवाल उठता है कि रेलवे इसको सुधारने का प्रयास क्यों नहीं कर रहा है?

सीएनबी को लेकर होती है हर किसी में जिज्ञासा

उन्होंने कहा कि सीएनबी पहले पुराना कानपुर रेलवे स्टेशन और फिर कानपुर सेंट्रल स्टेशन से ट्रेन पर सवार होकर यात्रा करने वालों के लिए 162 साल से यह जाना-पहचाना तीन अक्षरों का वह शब्द है, जो टिकट लेने के बाद से सफर पूरा करने तक कई बार दिल-दिमाग में कौंधता है। फिर यह कानपुर सेंट्रल से संबंधित ही कुछ संक्षेप में होगा, यह मानते हुए सफर पूरा भी हो जाता है। नतीजा, यह जानने की जिज्ञासा अधूरी ही रह जाती है। आपने भी कानपुर सेंट्रल से कहीं न कहीं के लिए ट्रेन से सफर जरूर किया होगा या किसी दूसरे शहर से यहां आए होंगे। टिकट पर यह सीएनबी लिखा देखा और पढ़ा होगा। कई बार ट्रेन यात्रा में लंबा समय गुजरा होगा, लेकिन इस शब्द का सच शायद कौतूहल होगा। संभव है, चंद लोग इसका मतलब जान भी गए हों पर दूसरे को नहीं बता पाए।

कानपुर सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन के उपमुख्य यातायात प्रबन्धक व स्टेशन डायरेक्टर आशुतोष सिंह ने बताया कि सीएनबी कोड है। ऐसा पुराना कोड देश में मौजूद कई रेलवे स्टेशनों में देखने को मिलेगा। झांसी रेलवे स्टेशन, आगरा, रेल टिकट में कहां से कहां तक कालम में कानपुर सेंट्रल (सीएनबी) और जहां जा रहे हैं, उस जगह के रेलवे स्टेशन के नाम के बाद उसका संक्षिप्त नाम मसलन लखनऊ जा रहे हैं तो लखनऊ (एलकेओ) लिखा रहता है। ऐसे शब्द अब रेलवे के कोड बन चुके हैं। इनका परिवर्तन तभी संभव हो सकता है, जब फिर से रेलवे स्टेशन के नाम व कोड में परिवर्तन किया जाय।

अंग्रेजी हुकूमत का दिया हुआ नाम है सीएनबी

सीएनबी की भाषा अंग्रेजी शासनकाल की है। इसके पीछे रोचक कहानी है। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी जड़ें तब के कानपोर (अब कानपुर) में जमाईं तो यहां से रेल के सफर की शुरुआत भी की थी। वर्ष 1855 में देश की चौथी और कानपुर यानी उत्तर (नार्थ) क्षेत्र की पहली रेल लाइन कानपोर नार्थ बैरक्स (सीएनबी) से इलाहाबाद (एएलडी) के बीच बिछाने की शुरुआत की थी। अब जान लीजिए वही सीएनबी अभी तक कानपुर से रेल का सफर करने वालों की टिकट पर अंकित हो रहा है।

कहां है सीएनबी 

उपमुख्य यातायात प्रबन्धक ने बताया कि कानपोर नार्थ बैरक्स को अंग्रेजी में (Cawnpore North Barracks) लिखते हैं, जिसके आधार पर संक्षिप्त नाम सीएनबी हुआ। यही अब कानपुर के पुराने रेलवे स्टेशन के रूप में पहचाना जाता है। वैसे, युवा पीढ़ी को ये भी नहीं पता कि पुराना रेलवे स्टेशन कहां है। बता दें कि जीटी रोड पर टाटमिल चौराहा के पास स्थित रेलवे अधिकारियों के आवास रेलवे के स्टेडियम के समीप पुराने रेलवे स्टेशन का भवन है, जिसकी भव्यता आज भी देखते ही बनती है। यहीं से सबसे पहले मालगाड़ी का संचालन शुरू हुआ था। तब के कानपोर (अब पुराना कानपुर रेलवे स्टेशन) से कोलकाता 632 मील और बांबे 962 मील की दूरी पर था, जो अब भी स्टेशन पर अंकित है। सीएनबी अब रेलवे का कोड बन चुका है।

तीन मार्च, 1859 को दौड़ी पहली मालगाड़ी 

कानपोर नार्थ बैरक्स (सीएनबी) से इलाहाबाद (एएलडी) के लिए पहली मालगाड़ी 10 वैगन में ईंट, पत्थर लादकर पहली बार चली। इस मालगाड़ी की रफ्तार 10 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। इसके सफल संचालन के बाद फिर कानपुर में रेलवे का सफर धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया।

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