वड़ोदरा : 75 साल की उम्र में काम करने के लिए मजबूर बुजुर्ग की टीम अभयम ने मदद की

बेटे-बहू की अच्छे से नहीं रहीं रखते थे, बाहर से टिफिन मंगवाना पड़ता था

वड़ोदरा : 75 साल की उम्र में काम करने के लिए मजबूर बुजुर्ग की टीम अभयम ने मदद की

विधुर पिता एवं ससुर की जिम्मेदारी से बच रहे बेटे-बहू को अभयम की टीम द्वारा सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारी को समझने के लिए मामला लाया गया था। टीम ने कानून का हवाला देते हुए कहा कि बुजुर्ग पिता की देखरेख करना तुम्हारा दायित्व है। टीम के समझाने के बाद बेटे ने पिता का ख्याल रखने का आश्वासन दिया 

माता की वार्षिक पुण्य तिथि के अवसर पर परिवार के लोग एकत्रित हुए थे

जानकारी के अनुसार माता की वार्षिक पुण्य तिथि के अवसर पर परिवार के लोग एकत्रित हुए थे। तभी बेटी ने भाई और भाभी से बूढ़े पिता की देखभाल करने की बात कहकर झगड़ा कर लिया। बेटे ने बताया कि वह खुद एक फैक्ट्री में काम करता है, जहां उसे दस हजार की तनख्वाह मिलती है, जिसमें गुजारा करना मुश्किल है। जिससे पिताजी अपनी व्यवस्था स्वयं करें। बेटे की जरूरत होने के कारण पिता ने बैंक से एक लाख का कर्ज लेकर उसे दिया है।  जिसकी किश्तें वह नहीं चुकाता, जिसके कारण उसे 75 वर्ष की आयु में सिक्यूरिटी के रूप में कार्य करना पड़ता है। इसके बावजूद बेटे-बहू खाना नहीं देते है और टिफिन बाहर से लाना पड़ता है। बेटे-बहू के व्यवहार से दुःखी पिता ने कहा कि मैं अपना घर बेचकर बैंक का कर्ज चुका दूंगा और अपना परवरिश कर लेंगे, लेकिन ये दोनों घर से निकल जाएं। इतना कहने के बाद दोनों झगड़ा करने लगे।  

पिता की देखभाल करना बेटे-बेहू की सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारी होती

अभयम टीम ने कहा कि पिता की देखभाल करना बेटे-बेहू की सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारी होती है। पिता को भी समझा दिया कि घर बेचने से समस्या का समाधान नहीं होगा और परिवार की भावना से साथ रहना होगा। अंत में बेटे ने अपनी गलती मानी और अपने पिता की उचित देखभाल करने का आश्वासन दिया।

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