सूरत : अंगदान का अभूतपूर्व आयोजन, 9 साल के ब्रेन डेड बच्चे के 6 अंगों का दान 

अंताला परिवार की बहादुरी ने इंसानियत की मिसाल पेश की

सूरत : अंगदान का अभूतपूर्व आयोजन, 9 साल के ब्रेन डेड बच्चे के 6 अंगों का दान 

ब्रेन डेड बच्चे का लीवर, दो किडनी, फेफड़े और दो आंखें दान करने से 6 जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिलेगी


सूरत में एक छोटे बच्चे के अंगदान की अभूतपूर्व घटना हुई है। पुना गांव के अंताला परिवार ने कक्षा-4 में पढ़ने वाले 9 साल के ब्रेन डेड बच्चे के 6 अंग दान कर इंसानियत की मिसाल पेश की है। सूरत के सिमाडा इलाके के एम्स अस्पताल में दो दिन से इलाज करा रहे परिवार ने ब्रेन डेड बच्चे के सभी अंगों को दान करने का साहसिक फैसला लिया है। ब्रेन डेड बच्चे का  लिवर, दो किडनी, फेफड़े और दो आंखें दान कर 6 जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी दी गई है। फेफड़े एमजीएम अस्पताल चेन्नई और  लीवर और किडनी को अहमदाबाद में ट्रांसप्लांट के लिए ले जाया गया। ह्रदय का आकार छोटा होने की वजह से ट्रान्सप्लान्ट नही हो सका।

डोनेट लाईफ संस्था के संस्थापक निलेशभाई मांडलेवाला के अनुसार नयनभाई अंताला मूल रूप से अमरेली जिले के धारी के रहने वाले और सूरत के पूना गांव के पास योगीदर्शन सोसाइटी में रहने वाले रत्नकलाकार हैं। सामान्य आर्थिक स्थिति वाले नयनभाई का 9 साल का एकलौता बेटा आरव था। 9 अप्रैल को खेलते समय आरव के सिर में चोट लग गई। तो परिजन उसे तत्काल इलाज के लिए कामरेज के वात्सल्य अस्पताल ले गए। जहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर हितेश कलसरिया ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे की चोट की गंभीरता को समझा और उसे सिमाड़ा स्थित एम्स (एएआईएचएमएस) मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल रेफर कर दिया। 

न्यूरोसर्जन डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की जान बचाने के लिए उसके दिमाग का तुरंत ऑपरेशन किया। न्यूरोसर्जन, आई.सी.यू. मेडिकल टीम की तमाम कोशिशों के बावजूद तीन दिन बाद 22 तारीख की रात आरव को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। चूंकि बच्चे के महत्वपूर्ण अंगों का दान जरूरतमंदों को नया जीवन दे सकता है, चिकित्सकों ने अंगदान के बारे में परिवार को जानकारी दी।

अपने बेटे को खोने वाले माता-पिता किरणबेन और नयनभाई सहित दुःखी अंताला परिवार ने भारी मन से अपने ब्रेनडेड मासूम बच्चे आरव के अंगों को दान करने का मानवीय और साहसी निर्णय लिया। परिजनों ने बताया कि अंगदान के बारे में उन्होंने कई बार अखबारों और न्यूज चैनलों में पढ़ा और देखा है। हमारी एक आम समझ है कि अंगदान दूसरों को जीवन देता है। हमारा आरव अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अंगदान से बड़ी सेवा क्या हो सकती है यदि वह अन्य जरूरतमंद व्यक्तियों के शरीर में रहता है? यह कहने के बाद, अराव के सभी संभव अंगों के दान के लिए परिवार सहमत हो गया।

दुख की घड़ी में अंगदान करने का निर्णय लेकर समाज के लिए प्रेरणा बने इस परिवार की सहमति से डोनेट लाइफ संस्था के निलेशभाई मांडलेवाला के सहयोग से सोटो के दिशा-निर्देशों के अनुसार अंगदान की प्रक्रिया संपन्न की गई।  

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