सूरत : न्यू सिविल अस्पताल में 67वां सफल अंगदान: एक पिता के सपने ने तीन जिंदगियों को दी नई रोशनी

ब्रेन डेड किशोरभाई हलपति के बेटे ने कहा पिता विमान में नहीं चढ़ सके, पर आज उनके अंग उड़ान भर रहे हैं

सूरत :  न्यू सिविल अस्पताल में 67वां सफल अंगदान: एक पिता के सपने ने तीन जिंदगियों को दी नई रोशनी

सूरत। सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में 67वां सफल अंगदान संपन्न हुआ है, जिसने एक बार फिर मानवता और संवेदनशीलता की मिसाल पेश की है।

नवसारी जिले के मोती चोवीसी काबिलपोर निवासी 46 वर्षीय किशोरभाई गोविंदभाई हलपति, जो लकवे की समस्या से पीड़ित थे, ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद उनके परिवार ने उनकी दोनों किडनी और एक लीवर अंगदान करने का noble निर्णय लिया। इन अंगों से अब तीन जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन मिलेगा।

किशोरभाई को तबीयत बिगड़ने पर नवसारी के निजी अस्पताल से रेफर कर सूरत न्यू सिविल अस्पताल लाया गया था। गंभीर हालत के चलते उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया, जहां उपचार के दौरान 19 जून सुबह 11:25 बजे उन्हें डॉक्टरों की टीम द्वारा ब्रेन डेड घोषित किया गया।

इस टीम में डॉ. लक्ष्मण तहलियानी, डॉ. नीलेश कछाड़िया, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रयाग मकवाणा, और न्यूरोसर्जन डॉ. केयूर प्रजापति शामिल थे। सोटो की टीम व गुजरात नर्सिंग काउंसिल के इकबाल कड़ीवाला और काउंसलर निर्मला कथुड़ ने हलपति परिवार के सदस्यों को अंगदान का महत्व समझाया।

गहरी पीड़ा के बावजूद, किशोरभाई की पत्नी रीवाबेन ने अंगदान के लिए सहमति दी। बेटे मयूर हलपति ने भावुक होते हुए बताया, “पिताजी की इच्छा थी कि वे कभी हवाई जहाज में बैठें। आज, उनके अंग विमान के जरिए दूसरे शहरों में भेजे गए हैं। वे भले ही खुद विमान में न चढ़ सके, पर उनकी इच्छा आज पूरी हो गई।”

मयूर ने यह भी कहा कि उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि उनके पिता तीन अन्य लोगों के शरीर में जीवित रहेंगे और उनकी जिंदगी को नई शुरुआत देंगे।ब्रेन डेड घोषित होने के बाद किशोरभाई की दोनों किडनी और एक लीवर अहमदाबाद स्थित आईकेडी अस्पताल भेजे गए, जहां उनका प्रत्यारोपण किया जाएगा।

अंगदान की पूरी प्रक्रिया न्यू सिविल अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. धारित्री परमार के नेतृत्व में की गई। मेडिकल व नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी और समर्पित स्वयंसेवकों ने इसमें अहम भूमिका निभाई।

ऑर्गन डोनेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक दिलीपभाई देशमुख 'दादा' ने भी फोन पर परिवार से बात कर उनके साहस और निर्णय की सराहना की।

इस प्रेरणादायक घटना ने साबित किया है कि अंगदान केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि किसी की अधूरी इच्छाओं को पूरा करने और दूसरों को जीवन देने का माध्यम भी बन सकता है। किशोरभाई का यह दान न सिर्फ तीन जिंदगियों को बचाएगा, बल्कि समाज को अंगदान की दिशा में प्रेरित भी करेगा।

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