वडोदरा : एमएसयू सत्ताधीशों को कर्मचारियों का 5.35 करोड़ रुपये बकाया पीएफ जमा कराने की सूचना 

वडोदरा : एमएसयू सत्ताधीशों को कर्मचारियों का 5.35 करोड़ रुपये बकाया पीएफ जमा कराने की सूचना 

पेश किये गये कर्मचारियों के नियुक्ति पत्र और वेतन पर्ची भी संदेहास्पद थी

एमएस यूनिवर्सिटी के सत्ताधीशों को पीएफ कार्यालय ने जोरदार झटका देते हुए कर्मचारियों के पीएफ का 5.35 करोड़ रुपये बकाया भुगतान करने की सूचना दी है। नौ पन्नों के फैसले में पीएफ आयुक्त ने विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल दी है। विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य संकाय के एक सीनेट सदस्य एवं कर्मचारी संगठन बुसा के प्रतिनिधियों हर्षद शाह व प्रतापराव भोइटे ने कर्मचारियों की ओर से विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ सुनवाई में शामिल हुए।

सत्ताधीशों ने पीएफ आयुक्त से 40 से अधिक शर्तों की मांग की

सीनेट सदस्य कपिल जोशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय के सत्ताधीशों ने पीएफ आयुक्त से 40 से अधिक शर्तों की मांग की। उनके द्वारा पेश किये गये कर्मचारियों के नियुक्ति पत्र और वेतन पर्ची भी संदेहास्पद थी और ऐसा प्रतीत हुआ कि कर्मचारियों को जितना मिलना चाहिए उससे कम पीएफ जमा हो रहा था। सत्ताधीशों की सभी दलीलों को कर्मचारियों के पक्ष में पीएफ कमिश्नर ने खारिज कर दिया।

पीएफ आयुक्त ने कर्मचारियों के पक्ष में  10 मार्च को फैसला सुनाया था

सीनेट सदस्य ने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि सत्ताधीश कर्मचारियों को पीएफ का लाभ देना चाहते हैं। इसलिए पीएफ आयुक्त ने कर्मचारियों के पक्ष में  आखिरकार 10 मार्च को फैसला सुनाया। जिसके अनुसार 2017 से 2019 के बीच दो साल नौ महीने का पीएफ 5.35 करोड़ रुपये जमा करने का अनुरोध किया गया है। यह गणना उपरोक्त अवधि के लिए है। आगे जांच हुई तो पीएफ की राशि बढ़ सकती है। प्रत्येक कर्मचारी को 60000 से लेकर 85000 रुपये तक का पीएफ में लाभ होगा। इस फैसले के खिलाफ अगर विश्वविद्यालय के सत्ताधीश ट्रिब्यूनल में जाते हैं तो भी उन्हें पहले 70 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा और उसके बाद ही मुकदमा दर्ज किया जा सकेगा।

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