वडोदरा : अब 'ताज महल' और 'लालकिला' में रहेंगी ये नन्ही गौरैया! इस संस्था ने कराई घोसला बनाने की प्रतियोगिता

वडोदरा : अब 'ताज महल' और 'लालकिला' में रहेंगी ये नन्ही गौरैया! इस संस्था ने कराई घोसला बनाने की प्रतियोगिता

धीरे-धीरे विलुप्त हो रही गौरैया के लिए बनाए गये कलात्मक घोसले

विज्ञान और तकनीक के बढ़ते असर ने हमारे सामने कई चुनौतियां भी खड़ी की हैं। जिससे निपटना हमारे लिए आसान नहीं है। विकास की महत्वाकांक्षी इच्छाओं ने हमारे सामने पर्यावरण की विषम स्थिति पैदा की है। जिसका असर इंसानी जीवन के अलावा पशु-पक्षियों पर साफ दिखता है। इंसान के बेहद करीब रहने वाली कई प्रजाति के पक्षी और चिड़िया आज हमारे बीच से गायब हैं। उसी में एक है स्पैरो यानी नन्ही सी वह गौरैया। आज सीमेंट-कंक्रीट के जंगल बन गए हैं और हमारे घर के आंगन में रोज सुबह चहचहाने वाले ये नन्हे जीव गायब होने लगे हैं। वर्तमान में लुप्तप्राय गौरैया को बचाने और उनके अस्तित्व के लिए, उनके लिए घोंसलों के लिए भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में स्टार इंडिया संस्था की ओर से प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें गौरैया के लिए घोसला बनाने की प्रतियोगिता हुई। इस प्रतियोगिता में देशभर से करीब 580 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं।

रेड कोर्ट, रावपुरा टावर, ताजमहल जैसे घोसले

आपको बता दें कि वडोदरा में एक जूरी ने इन घोंसलों का निरीक्षण किया और सर्वश्रेष्ठ 3 घोंसलों के लिए पुरस्कारों की घोषणा की गई। कैटेगरी को 4 अलग-अलग उम्र सीमा के हिसाब से रखा गया है। इस बारे में कार्यक्रम की क्यूरेटर पूजा पटेल ने कहा कि यह प्रतियोगिता 3 साल से आयोजित की जा रही है और विभिन्न शहरों से प्रतिक्रिया आ रही है। वड़ोदरा शहर में रेड कोर्ट, रावपुरा टावर, ताजमहल, बर्ड हाउस कॉलोनी आदि जैसे आकर्षक बर्ड हाउस बनाए गए। इस आकर्षक घर में उनके आने और रहने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी।

इस बच्ची ने बनाई कॉलोनी
 
इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली और वडोदरा में कक्षा 8 में पढ़ने वाली युतिका मिस्त्री ने कहा ‘मैंने उनके लिए खास कॉलोनी बनाई है। जिसमें यह व्यवस्था की गई है कि वह आराम से जाकर बाहर बैठ सके।’ वर्तमान में गौरैया के अस्तित्व को खतरा है ऐसे में इस प्रकार की व्यवस्थाओं की आवश्यता है।

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