सूरत :  ओलपाड में 80 साल पुरानी परंपरा के साथ होली मनाते हुए नंगे पांव बूढ़े से लेकर बच्चे अंगारों पर चलते हैं!

सूरत :  ओलपाड में 80 साल पुरानी परंपरा के साथ होली मनाते हुए नंगे पांव बूढ़े से लेकर बच्चे अंगारों पर चलते हैं!

छह सेंटीमीटर तक की परत से ढके अंगारों पर लोग चलते हैं 

सूरत जिले के ओलपाड तालुका के सरस गांव में होली जलाने के बाद अंगारों पर नंगे पांव चलने की 80 साल पुरानी परंपरा आज भी जिंदा है। जानलेवा कोरोना महामारी में भी ग्रामीणों ने होली के अंगारों पर चलने की परंपरा को अक्षुण्ण रखी है।

80 साल पुरानी परंपरा चल रही है

ओलपाड तालुका के सरस गांव में जहां ऐतिहासिक सिद्धनाथ महादेव मंदिर स्थित है। यहां शिव दर्शन के साथ होली पूजन की 80 साल पुरानी अनोखी और ऐतिहासिक परंपरा चली आ रही है। सरस गांव में ग्राम पंचायत के सहयोग से आयोजित होली पूजा समारोह में होली जलाने के बाद अंगारों पर नंगे पैर चलते है ग्रामीण।

सुलगते अंगारों की परत पर चलते है लोग

होली की रात बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को जलते अंगारों में चलते देख दर्शन करने पहुंचे लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। होलिका दहन के बाद वहां के लोग छह सेंटीमीटर तक फैले अंगारों पर चलते हैं। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक लोग नंगे पांव अंगारों पर चलते हैं। वर्षों से गांव के लोग एक आस्था के साथ अंगारों पर चलने का साहस करते आ रहे हैं।

होली के दिन लोग अंगारों पर चलने आते हैं

सरस गांव के लोगों की भी होली के त्योहार में आस्था है। वर्षों से चली आ रही यह प्रथा इतनी प्रसिद्ध हो गई है कि होली के दिन ओलपाड के लोगों को ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों के लोगों को भी अंगारों पर चलने के लिए सरस गांव आते है।

होली के दिन के अलावा इन अंगारों पर चल ही नहीं सकता

सरस गांव में पिता और दादा के समय से चली आ रही परंपरा आज भी जीवित है। होली के दिन लोग होली के जलते हुए अंगारों पर ग्रामीण चलते हैं। साथ ही कोई बाहरी व्यक्ति भी विश्वास के साथ चल सकता है। सरस गांव में ही नहीं बल्कि सूरत जिले के किसी भी गांव में हम होली के दिन जलती हुई आग में चल सकते हैं। जो होली माता की आस्था है। होली की अग्नि के अंगारों पर साल में एक बार ही चल सकते हैं, लेकिन इस अग्नि के देवता पर होली के दिन के अलावा और कोई चल ही नहीं सकता।- चंदूभाई पटेल, ग्राम प्रधान

पूजा के बाद चंदूभाई सबसे पहले अंगारों में चलते हैं

ओलपाड के सरस गांव में पिछले 80 सालों से होली के दिन अंगारों पर चलने की परंपरा है। 60 साल के चंदूभाई ने पिछले 40 साल से होली के अंगारों पर चलने की परंपरा कायम रखी है। चंदूभाई होली की पूजा के बाद सबसे पहले अंगारों में चलते हैं। फिर गांव के युवा व अन्य लोग अंगारों पर चलते हैं। पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान चंदूभाई ने अकेले अंगारों पर चलकर परंपरा को कायम रखा था। 

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