सूरत : पीक पीरियड में बिजली दरों में बढ़ोतरी से सूरत के उद्योगपति नाराज़, एसजीसीसीआई ने उठाई आवाज़
हाईटेंशन के बाद एलटीएमडी कनेक्शन पर भी 45 पैसे प्रति यूनिट का बोझ; टेक्सटाइल उद्योग को पीक पीरियड से बाहर रखने की मांग
सूरत : दक्षिण गुजरात के औद्योगिक क्षेत्र में बिजली दरों में हालिया बढ़ोतरी को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। खासकर पीक पीरियड में हाईटेंशन (एचटी) और लो टेंशन मेगा डिमांड (एलटीएमडी) कनेक्शन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी ने उद्योग जगत को झकझोर दिया है। इस मुद्दे पर दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) की डीजीवीसीएल पावर कमेटी ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की।
बैठक की अध्यक्षता चैंबर अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने की, जिसमें समिति अध्यक्ष मयूर गोलवाला, उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला और अन्य प्रमुख उद्योगपतियों ने भाग लिया। बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि इस विषय को राज्य के ऊर्जा मंत्री और संबंधित विभागीय अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
एचटी कनेक्शन के उपभोक्ताओं पर पहले से ही पीक पीरियड में 45 पैसे प्रति यूनिट की अतिरिक्त दर लागू थी, अब एलटीएमडी कनेक्शन पर भी जून 2024 से यही नियम लागू कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, बीते दिनों से उपभोक्ताओं को छह महीने का बढ़ा हुआ बिजली बिल मिलना शुरू हो गया है, जिससे उद्योगों में हड़कंप मच गया है।
पीक पीरियड का समय सुबह 7:00 से 11:00 बजे तक और शाम 6:00 से रात 10:00 बजे तक निर्धारित किया गया है। इस दौरान बिजली की खपत पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है।
बैठक में उद्योगपतियों ने विशेष रूप से टेक्सटाइल उद्योग को पीक पीरियड की श्रेणी से बाहर रखने की मांग की। अशोक जीरावाला ने कहा कि टेक्सटाइल उद्योग 24 घंटे कार्यरत रहता है और इसे पीक पीरियड की सीमा में लाना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उद्योग कृषि के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है, इसलिए इस पर अलग से विचार किया जाना चाहिए।
मयूर गोलवाला ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग ने एक साल पुराने सर्कुलर को अचानक लागू करते हुए बढ़ा हुआ बिल भेजना शुरू कर दिया है, जबकि सभी इकाइयों में पीक पीरियड रीडिंग वाले मीटर तक नहीं लगे हैं। कई फैक्ट्रियों में पुराने मीटर हैं और वहां औसत बिलिंग की जा रही है, जो अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि जब वीविंग यूनिट 24 घंटे चलती हैं, तब पीक पीरियड की अवधारणा ही लागू नहीं होती।
“बुनकर 25 से 50 पैसे के मुनाफे पर काम करते हैं। पीक पीरियड के नाम पर दरें बढ़ाना इन्हें बर्बादी की ओर ले जाएगा।” — मयूर गोलवाला, अध्यक्ष, डीजीवीसीएल पावर कमेटी
बैठक में तय हुआ कि विस्तृत आंकड़ों और उद्योगों पर बढ़े हुए बोझ का विश्लेषण कर चैंबर प्रतिनिधिमंडल संबंधित विभागीय अधिकारियों से मुलाकात करेगा और इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष प्राथमिकता से रखेगा।
सूरत का औद्योगिक वर्ग बिजली दरों में अनियमित और अचानक वृद्धि से परेशान है। एसजीसीसीआई की सक्रियता और उद्योगपतियों की एकजुटता से उम्मीद है कि सरकार इस विषय पर पुनर्विचार करेगी, विशेषकर टेक्सटाइल जैसे सतत चलने वाले एमएसएमई सेक्टर के लिए राहत के कदम उठाए जाएंगे।