सूरत : सास-ससुर ने विधवा बहू की दोबारा शादी करा मिसाल कायम की, इस कन्यादान से सबकी आंखें नम थीं!

शादी समारोह में इमोश्नल सिन क्रियेट हुए

सूरत : सास-ससुर ने विधवा बहू की दोबारा शादी करा मिसाल कायम की,  इस कन्यादान से सबकी आंखें नम थीं!

सूरत में होने वाली शादियों में भी सामाजिक जागरुकता के संदेश दिए जाते हैं। मोटी वेड क्षेत्र में बेटे की मौत के बाद बहू की सास ने दुल्हन का कन्यादान कर नई जिंदगी की शुरुआत कराई। 

वेड रोड क्षेत्र के नवा मोहल्ला में रहने वाले दिनेशभाई के बेटे विमल की 15 माह पहले असामयिक मौत हो गई थी। बहू समेत पूरा परिवार सदमे में चला गया था। बेटे की मौत से मां-बाप बहुत दुखी थे। लेकिन, जवान बहू भी विधवा हो गई थी जिसके आगे अब भी पूरी जिंदगी बितानी बाकी थी। सास-ससूर को भी यही चिंता रहती थी कि उनकी बहू अपनी पूरी जिंदगी कैसे गुजारेंगी। लिहाजा सास-ससूर ने बहू की दोबारा शादी करा कर समाज में एक नई परिपाटी स्थापित की।

समाज के लिये अनुकरणीय उदाहरण

बेटे की असामयिक मृत्यु के बाद उन्होंने घर में अपनी ही बहू को बेटी की तरह रखकर उसका जीवन नए सिरे से शुरू करने का बीड़ा उठाया। उनके बेटे और बहू को दांपत्यजीवन में एक बच्चा हुआ लेकिन बेटे की अचानक मृत्यु हो गई और बच्चे के सिर से पिता की छाया छीन ली गई। मां ने भी अपने पति को खो दिया। हालांकि ससुराल वाले अपनी बहू का बेटी की तरह ख्याल रखते थे। बहू नया जीवन शुरू  करे इसके लिये उसकी शादी कराने का फैसला किया। उपयुक्त पात्र खोज कर सास-ससूर ने अपनी बहू का विवाह करा दिया।

सास-ससूर की भी आंखें नम हो गईंं

सास -ससूर ने बहू की शादी करा दी। शादी में मौजूद सभी लोगों की आंखों में आंसू भर आए। बहू भी फूट-फूट कर रोई, मानो अपने माता-पिता को विदा कर रही हो। ससुर और सास अपनी बेटी की देखभाल करते हुए आंखों में आंसू लिए अलविदा कहते थे। यह वास्तव में समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है। इस नजारे को जितने लोग, जितने परिवार वाले देख रहे थे उन सभी की आंखों में भी पानी भर आया।

समाज से अच्छा लड़का पाकर सास-ससूर ने शादी करा दी

सास-ससूर का मानना था कि आज हमारी बहू के दो मायके हुई है। जीवन भर के लिए हमारा घर भी अब उसके लिए मायका होगा। हमारी जवान बहू का चार साल का बेटा है, हम उसे पढ़ाते थे। हमने अपनी बहू के जीवन को अच्छी तरह से जीने के लिए एक बहुत ही उपयुक्त व्यक्ति की तलाश की है। हर समाज को अपने परिवार में ऐसी असामयिक मृत्यु होने पर बहू को बेटी की तरह रखना चाहिए। लेकिन अगर सही पात्र मिल जाए तो उसे नए जीवन को फिर से शुरू करने की पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए आगे आना चाहिए।

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