सूरत : यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रावेल्स संचालक पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक के लिए तैयार

खत्म होगा  ट्रावेल्स एसोसिएशन और विधायक का विवाद, कल शाम तक हो सकती है समझौते की घोषणा

सूरत : यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रावेल्स संचालक पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक के लिए तैयार

शहर में ट्राफिक की समस्या को लेकर ट्रावेल संचालक विधायक के निशाने पर आ गए। विधायक कुमार कानानी ने ट्राफिक डीसीपी को पत्र लिखा कि शहर में भारी वाहन पुलिस कमिश्नर के नोटिफिकेशन का पालन नहीं कर रहे हैं। लकझरी बसें निर्धारित समय से पहले शहर के चारों ओर घूमती हैं और इससे यातायात में दिक्कत आती है। इस मुद्दे को लेकर ट्रावेल्स संचालकों ने बैठक की और विधायक के सामने मोर्चा तान दिया।

पिछले दो दिनों से ट्रावेल्स संचालकों ने शहर की सीमा के बाहर बसों को रोक दिया जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वालक पाटिया पर चक्काजाम जैसी स्थिति बन रही थी। यात्रियों की लगातार बढ़ते समस्या से आखिरकार ट्रावेल संचालकों पर नैतिक दबाव आने लगा और लग्जरी बस एसोसिएशन के दिनेश अनधन ने माना है कि वह खुद ट्राफिक विभाग के डीसीपी से मिलकर इस मामले को सुलझाना चाहते हैं।

ट्राफिक विभाग और ट्रावेल्स संचालक सर्वे करेंगे

ट्रावेल्स प्रबंधकों का मानना ​​है कि यह धारणा गलत है कि केवल ट्रावेल्स बसें ही यातायात को बाधित करती है। उसके बावजुद ट्रावेल्स संचालक ट्राफिक विभाग के डीसीपी और पीआई स्तर के अधिकारियों की एक टीम बनाएंगे। जिसमें ट्रावेल्स संचालकों के सदस्यों को रखा जाएगा और यात्रियों को शहर में किन-किन पोईन्ट से चढ़ाया व उतारा जाएगा, यह तय किया जाएगा। ताकि ट्रावेल्स बसें निर्धारित स्थलों पर ही रुकेंगी और ट्रैफिक की समस्या नहीं बढ़ेगी।

ट्रावेल्स संचालक विवाद खत्म करने को तैयार

ट्रावेल्स संचालकों का कहना है कि समन्वय बैठक में विधायक कुमार कानानी भी मौजूद रहें लेकिन वह आएं या न आएं उनकी मर्जी है। लेकिन हम यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए यातायात विभाग के अधिकारियों से समन्वय के लिए तैयार हैं और जल्द ही यातायात अधिकारियों के साथ पूरे मामले को सुलझा लेंगे।

24 घंटे ट्रावेल्स को आने की अनुमति दी जाए

ट्रावेल संचालकों की राय है कि जिस तरह से जीएसआरटी की बसें दिनभर शहर में आती रहती हैं, तब ट्राफिक की समस्या पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसी तरह प्राईवेट बसों को भी शहर में प्रवेश पर पूरे दिन कोई रोक नहीं होनी चाहिए।  भले रोजाना करीब 500 जीएसआरटी बसें शहर में आ रही हों, जिससे कोई दिक्कत नही हो रही है तो अन्य ट्रावेल्स आने से क्या मुश्किलें होगी, यह बड़ा सवाल है। यदि ट्रावेल्स की प्राईवेट बसों को 24 घंटे शहर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है, तो यह कोई समस्या नहीं होगी और जिस यातायात समस्या की बात की जा रही है वह दूर नहीं होगी।

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