सुभाष चंद्र बोस जयंती पर विशेष : सुभाष चौक इलाके के जौहरियों के मन में आज भी ताजा हैं सुभाष बाबू की सूरत यात्रा की यादें!

सुभाष चंद्र बोस जयंती पर विशेष : सुभाष चौक इलाके के जौहरियों के मन में आज भी ताजा हैं सुभाष बाबू की सूरत यात्रा की यादें!

सुभाष चौक इलाके के जौहरियों ने सुभाष चंद्र बोस को असली मोती के हार और आभूषणों से नवाजा था

23 जनवरी यानी शौर्य दिवस। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी को हुआ था। सुभाष चंद्र बोस एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के अधिवेशन के लिए सन् 1939 में पहली बार सूरत आये थे। सूरत के स्थानीय लोग और विशेष रूप से नगर के सुभाष चौक इलाके में जौहरियों के मन में आज भी ताजा है सुभाष बाबू की यात्रा के संस्मरण।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपनी सूरत यात्रा के दौरान गजलकार गनी दहीवाला के निमंत्रण पर नगर के गोपीपुरा इलाके में आए थे। गोपीपुरा का यह इलाका आज भी सुभाष चौक के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि जब सुभाष बाबू गोपीपुरा इलाके में आए तो सूरत के जौहरियों ने असली मोतियों से उनका स्वागत किया था। स्थानीय जौहरियों और सेठों ने एक बड़ी निधि जुटाई और असली मोतियों का हार और आभूषण भी तोहफे में दिये। धनाढ्य सूरत की आस्था को देखकर सुभाष चंद्र बोस को भी बड़ा आश्चर्य हुआ। चुंकि इसी गोपीपुरा क्षेत्र में सुभाष चंद्र बोस गली दहीवाला के निमंत्रण पर आए थे और उनके स्वागत में मंडप भी बनवाया गया था, इसलिए इस सड़क का नाम गनी दहीवाला मार्ग रखा गया है।

आज 126वीं सुभाष जयंती मनाई जा रही है। हर साल इस दिन सुभाष चौक को सजाया जाता है और सुभाष बाबू की तस्वीर रखी जाती है। स्थानीय राजनीतिक व सामाजिक अग्रणी यहां मौजूद सुभाष बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हैं।

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इसी क्रम में आज पराक्रम दिवस के मौके पर सूरत शहर महापालिका आयुक्त श्रीमती शालिनी अग्रवाल ने सुभाष चौक, गोपीपुरा स्थित ऐतिहासिक 131 साल पुरानी शेठ रायचंद दिपचंद धर्मशाला के मकान की मुलाकात ली। 

इसी सुभाष चौक के इलाके में एक जौहरी की दुकान है, जिनके पिता ने सुभाष बाबू को उनकी सूरत यात्रा के दौरान आभूषण भेंट किये थे। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनके पूर्वजों के मुख से सुना है कि उस समय सुभाष चंद्र बोस के भाषण और उनके आकर्षक व्यक्तित्व ने कई लोगों को उनका मुरीद बना दिया। उनके भाषण ने कई लोगों में देश के प्रति प्रेम भी जगाया।