सूरत : मानसून में बाढ़ रोकने के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक

बाढ़ की स्थायी रोकथाम के लिए हाई पावर कमेटी गठित करने की घोषणा, खाड़ियों के गहन सर्वे और समाधान पर जोर

सूरत : मानसून में बाढ़ रोकने के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक

मीठी खाड़ी सहित प्रमुख खाड़ियों की स्थिति पर विस्तृत चर्चा

सूरत। मानसून के दौरान सूरत शहर और जिले में बार-बार आने वाली बाढ़ की समस्या से स्थायी राहत दिलाने के उद्देश्य से केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में सर्किट हाउस, सूरत में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।

बैठक में गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी, जल आपूर्ति मंत्री मुकेशभाई पटेल, जनजातीय मामलों के मंत्री कुंवरजीभाई हलपति, सांसद, विधायक, जिला कलेक्टर डॉ. सौरभ पारधी, नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक में मुख्य रूप से मीठी खाड़ी, काकड़ा खाड़ी और अन्य प्रमुख जलनिकासी मार्गों की गहराई, चौड़ाई, जल प्रवाह, और अतिक्रमण से उत्पन्न समस्याओं पर चर्चा की गई।

नर्मदा, जल संसाधन और कल्पसर विभाग तथा सूरत नगर निगम द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया। भमैया कडोदरा खाड़ी और देलाड जोखा कोसमडी खाड़ी जैसे उप-प्रवाहों के जल का तापी नदी की ओर मोड़ने के सुझाव पर भी विचार हुआ। झीलों को गहरा करना, गाद निकासी, और झींगा तालाबों को हटाने जैसे उपायों पर बल दिया गया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (हाई पावर कमेटी) का गठन किया जाएगा, जो खाड़ियों और जल निकासी मार्गों की जमीनी स्थिति का सर्वेक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। यह समिति बैठक में लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की निगरानी करेगी और आवश्यक कार्य योजनाएं निर्धारित करेगी।

बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि सूरत में बाढ़ आने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:खाड़ियों में गाद जमाव के कारण जल प्रवाह में कमी, अनधिकृत निर्माण और चारदीवारियों के कारण जल निकासी मार्ग अवरुद्ध, खाड़ी के प्राकृतिक प्रवाह में अवरोध, और खाड़ी में अपशिष्ट का अतिक्रमण है।

बैठक के महत्वपूर्ण निर्देश और समाधान के सुझाव इस प्रकार है। नियमित अंतराल पर खाड़ियों और नालों से गाद हटाने का निर्देश।

खाड़ीचौड़ीकरण: जिन स्थानों पर खाड़ी की चौड़ाई कम हो गई है, वहां विस्तृत सर्वे और सुधार। अनधिकृत निर्माण हटाना: खाड़ी किनारे बने अतिक्रमणों और  जलनिकासी में बाधक संरचनाओं को हटाने की कार्रवाई।पाइपलाइन द्वारा वर्षा जल निकासी: ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में आने वाले वर्षा जल को नियंत्रित करने हेतु समानांतर पाइपलाइन योजना। मेट्रो परियोजना समन्वय: मानसून में जलभराव से बचने के लिए नगर निगम की पूर्व मंजूरी के बाद ही कार्य शुरू करने और कार्य से तीन दिन पूर्व बैरिकेडिंग करने के निर्देश। रेलवे ब्रिज ड्रेजिंग: रेलवे ब्रिज संख्या 440 और 442 के पास तत्काल ड्रेजिंग का आदेश। एसटीपी प्रावधान: नए निर्माण को मंजूरी देते समय सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल।

सी.आर. पाटिल ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए कि सभी विभाग समन्वयित प्रयासों के साथ मिलकर कार्य करें और समयबद्ध योजना बनाएं ताकि सूरत को बाढ़ मुक्त शहर के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह केवल एक मौसमी समस्या नहीं है बल्कि एक दीर्घकालिक योजना और सशक्त नीति की मांग है।

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