बॉलीवुड : बॉयकोट बॉलीवुड और पठान के लिए बढ़ते विरोध के बीच फिल्म फेडरेशन ने मांगी सरकार से मदद
कहा-लाखों लोगों के रोजगार पर पड़ रहा है असर, बहिष्कार की प्रवृत्ति पर लगाना चाहिए अंकुश
बॉलीवुड में लंबे समय से सब कुछ सही नहीं है। फिल्मों के बहिष्कार से लेकर भाई-भतीजावाद के कारण मुश्किलों में दिख रही बॉलीवुड में अब शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म पठान की रिलीज पर फिलहाल अनिश्चितता का माहौल है। यह फिल्म कई विवादों से घिरी रही है। फिल्म के गाने, बोल्ड सीन और दीपिका पादुकोण की भगवा रंग की बिकिनी के कारण विवाद बना हुआ है। इस फिल्म के खिलाफ लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। लोगों के इस विरोध के खिलाफ अब फिल्म फेडरेशन भी आगे आया है। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज यानी एफडब्ल्यूआईसीई ने हाल ही में सरकार से इस बहिष्कार की प्रवृत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है।
थिएटर मालिकों को मिल रही है धमकी, फिल्म न करें रिलीज
आपको बता दें कि देशभर के कई हिस्सों में इस फिल्म का विरोध हो रहा है और ये विरोध सनह-सनह उग्र रूप लेता जा रहा है। बीते दिनों फिल्म के विरोध में राजनीतिक संगठनों ने देश के कई राज्यों के सिनेमाघरों में तोड़फोड़ की थी। साथ ही थिएटर मालिकों को फिल्म रिलीज न करने की धमकी भी दी थी। शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत निर्देशक सिद्धार्थ आनंद की फिल्म पठान की रिलीज सुनिश्चित करने के लिए सरकार से अपील करते हुए, संघ ने कहा कि न केवल अभिनेताओं की आजीविका, बल्कि लाखों छोटे कार्यकर्ता और तकनीशियन भी फिल्मों पर निर्भर हैं। ऐसे में फिल्मों के बहिष्कार से इंडस्ट्री में काम करने वाले लाखों लोगों के रोजगार पर असर पड़ता है। महासंघ ने कहा कि ऐसे में सरकार को बहिष्कार की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना चाहिए।
@fwicemum strongly condemns the ongoing trend of #BoycottBollywood and seek immediate protection against the #hooliganism in #theaters and the #threats to the producers pic.twitter.com/XCBNKEGI3G
— Federation of Western India Cine Employees (@fwicemum) January 6, 2023
किसी भी शिकायत पर सेंसर बोर्ड को लिखें पत्र
गौरतलब है कि आगे अपने पात्र में संघ में लिखा “हम जानते हैं कि फिल्म बनने के बाद उसे सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया जाता है। और अगर किसी को फिल्म से कोई शिकायत है तो वो सेंसर बोर्ड को लिख सकता है। लेकिन किसी खास एजेंडे की वजह से किसी फिल्म को सिनेमाघरों में चलने से रोकना बहुत जोखिम भरा और खतरनाक तरीका है। सरकार को इस पर लगाम लगानी चाहिए।”