वडोदरा : घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं मेहनती शिक्षक

वडोदरा :   घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं मेहनती शिक्षक

कोरोना काल में शिक्षक बच्चों को होम लर्निंग के माध्यम से शिक्षित कर रहे हैं

वडोदरा जिले के पादरा तालुका में डबका ग्रुप ताबानी सीम जोशीपुरा प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों ने गांव के 188 से अधिक छात्रों को घर-घर, गली-गली शिक्षा देने के ज्ञान यज्ञ रुपी सेवा दे रहे है। कोरोना काल में शिक्षक बच्चों को होम लर्निंग के माध्यम से शिक्षित कर रहे हैं ताकि जिन छात्रों के पास टीवी या स्मार्टफोन जैसी सुविधा नहीं है, वे ज्ञानसेतु कार्यक्रम के तहत शिक्षा प्राप्त कर सकें।
      राज्य भर में कोरोना महामारी के कारण फिलहाल प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और कॉलेजों में बंद है, लेकिन शिक्षा नहीं। ऐसे में प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। गांव में कई ऐसे छात्र हैं जिनके पास घर में टीवी या स्मार्ट फोन नहीं है। ऐसे बच्चों को पढ़ने के लिए ज्ञानसेतु कार्यक्रम के तहत गुजरात सरकार गांव के प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को सुबह नौ बजे खेतों, गलियों, मोहल्लों में शिक्षा दे रहे है।  लगभग 188 से अधिक  छात्रों को शिक्षकों द्वारा गली-मोहल्लों में जाकर  पढ़ाया जा रहा है।
       दूसरी कक्षा में प्रवेश कर चुकी अदिति अपनी तोतली भाषा में कहती है कि शिक्षक कोरोना के कारण घर पर पढ़ाने आते हैं। गाने कहानियां सुनाते हैं, मुझे पढ़ना अच्छा लगता है। सीम स्कूल के शिक्षक कनुभाई जादव का कहना है कि गांव के कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को शिक्षकों द्वारा स्ट्रीट एजुकेशन दी जा रही है। डबका प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भरतभाई चौधरी ने कहा कि हमारे समूह के सभी स्कूलों में माता-पिता भी इस अभियान में सहयोग कर रहे हैं। 
उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर में कई लोग कोरोना से संक्रमित थे, तो ऑनलाइन शिक्षा के अलावा और कोई रास्ता नहीं था, लेकिन पादरा तालुका के इस गाँव के शिक्षकों ने घर-घर जाकर और अपने ज्ञान यज्ञ के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करके एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।  कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे इसके लिए डबका सहित उपनगरीय व सीम स्कूलों में शिक्षक गली-मोहल्लों में जाकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं।  
ग्रामीण क्षेत्रों में जो बच्चा कक्षा 1 में प्रवेश लिया है और वे कोरोना के कारण स्कूल नहीं जा सके हैं, वे भी इस ज्ञानसेतु कार्यक्रम के तहत स्कूल के शिक्षकों के अथक प्रयासों से जीवन को आकार देने के लिए  बहुत कुछ सीख रहे हैं।
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